या गूढ सावल्यांनी.. |
प्राजु |
17 |
मंडली, म्या एक दादांसारकी कविता ल्यिहल्येली हाय. वाचा तर मंग आता. |
पाषाणभेद |
5 |
(लिहावे कुठे) |
चेतन |
0 |
प्रेम काव्य संग्रह |
निमिष सोनार |
7 |
माझी अगतीकता |
पाषाणभेद |
4 |
हे चित्र पहा आणि ते चित्र पहा" |
अविनाशकुलकर्णी |
2 |
काकमित्रा |
सागरलहरी |
2 |
प्रित माझी कळेना.. |
अविनाशकुलकर्णी |
1 |
प्रहरांचे दु:ख..... |
उदय सप्रे |
2 |
अगतिक..... |
उदय सप्रे |
7 |
असे सखे तू रुसू नको ना..... |
सागरलहरी |
7 |
कोडगं सूख..... |
उदय सप्रे |
11 |
(कोडगं सुख.....) |
ज्ञानोबाचे पैजार |
0 |
(कुठे भास होतो मला 'कोंकणाचा') |
चतुरंग |
22 |
तत्वज्ञान..... |
उदय सप्रे |
1 |
सोनपावले ही तुझी... |
अंकुश चव्हाण |
3 |
फर्निचर |
अरुण मनोहर |
16 |
छंद दे.. |
प्राजु |
22 |
((त्यांच्या लग्नाची पत्रिका आज घरी आली)) |
Nile |
6 |
वाट चुकवेल वाट |
क्रान्ति |
3 |
(छंद दे) |
चतुरंग |
17 |
[उन घे] |
अमृतांजन |
3 |
हवे कुणाला...! |
विशाल कुलकर्णी |
2 |
आक्रोश...! |
विशाल कुलकर्णी |
6 |
थरथरत्या ज्योतीला अंधाराचा भार |
सागरलहरी |
0 |
क- कवितेचा |
उग्रसेन |
3 |
चालू करा तुमचे इंजन |
पाषाणभेद |
5 |
विडंबक |
चतुरंग |
13 |
<strong>खेळ मांडला.....</strong> |
उदय सप्रे |
0 |
गवगवा..... |
उदय सप्रे |
0 |
इज्जत! |
दिनेश५७ |
5 |
भूताच्या भूतकाळाचे गूढ प्रेम...!!! |
निमिष सोनार |
1 |
वेल |
सागरलहरी |
0 |
तू तेव्हा तशी ... |
विश्वेश |
0 |
बेत |
विश्वेश |
0 |
प्रेमाचा "निसर्ग" |
निमिष सोनार |
0 |
ओझी |
क्रान्ति |
9 |
लीला केली विश्वंभरे .... |
सागरलहरी |
2 |
खरेसाहेब…माफ़ करा : ३ : दिवस असे की … |
विशाल कुलकर्णी |
6 |
उत्सव ...! |
विशाल कुलकर्णी |
0 |
'खरेसाहेब माफ करा : २ : एवढंच ना? |
विशाल कुलकर्णी |
12 |
ती -२ |
केशवसुमार |
14 |
आठवण |
प्रभो |
1 |
(ती) |
चतुरंग |
9 |
परी |
सागरलहरी |
1 |
काही कविता. |
रामदास |
11 |
रान वाट |
सागरलहरी |
0 |
करतो अजून आशा.... |
सागरलहरी |
0 |
पूर्वीगत पण आता काही लिहिवत नाही |
अनिरुद्ध अभ्यंकर |
10 |
पूर्वीगत पण आता काही करवत नाही |
केशवसुमार |
7 |
अश्वत्थ |
सागरलहरी |
1 |
[कसाही का असेना] |
अमृतांजन |
13 |
मला इन्फेक्शन होऊ नये म्हणून |
पुष्कर |
7 |
पूर्वीगत पण आता कोणी हिणवत नाही |
चेतन |
0 |
संकल्पः नव्या युगाचा |
नरेंद्र गोळे |
3 |
"निरोप नवव्या वर्षाचा, स्वागत नव्या वर्षाचे..." |
निमिष सोनार |
1 |
व्यसन...! |
विशाल कुलकर्णी |
2 |
गोरी गोरी पान (विडंबन) |
JAGOMOHANPYARE |
4 |
बंदोबस्त-२ |
केशवसुमार |
9 |
बंदोबस्त |
विनायक प्रभू |
16 |
शनिवारचा उतारा - (कृष्ण-ए-कमळ) |
३_१४ विक्षिप्त अदिती |
33 |
मन भरून येते पण आभाळ काही भरत नाही |
सागरलहरी |
2 |
गीत रामायण- बाबुजी आणि गदिमांचे |
पुष्कराज |
3 |
मागणे |
पद्मश्री चित्रे |
10 |
खरेसाहेब ......., माफ करा ! |
विशाल कुलकर्णी |
10 |
(विडंबनी खेळ..) |
चतुरंग |
16 |
अनंताचा खेळ.. |
प्राजु |
20 |
कशाला ? |
सागरलहरी |
2 |
येई येई गा मुकुंदा | जगज्जीवन परमानंदा | |
सागरलहरी |
0 |
नव्या दशकाचे बडबडगीत. |
विजुभाऊ |
25 |