बाप्पा , असे ही... |
हृषीकेश पतकी |
14 |
..मोक्ष.. |
कानडाऊ योगेशु |
9 |
भेटी |
क्रान्ति |
6 |
मन काहूर... |
प्राजु |
25 |
र्निमाल्यातिल दोन फुले-- |
पुष्कराज |
11 |
प्रेम - चार ओळीत |
पुष्कराज |
11 |
गणपती बाप्पा मोरया ! (भक्तिरस) |
विशाल कुलकर्णी |
5 |
पुन्हा एकदा... |
हृषीकेश पतकी |
11 |
(( ती - सहा ओळीत )) |
दशानन |
8 |
(सारे कसे सुने सुने वाटते) |
दशानन |
20 |
सारे कसे नवे नवे वाटते |
पाषाणभेद |
1 |
गणेश माझा........ |
अनिरुद्धशेटे |
1 |
पसाभरं |
शैलेन्द्र |
13 |
गणेशवंदना |
क्रान्ति |
7 |
(ऐन दुपारी!) |
चतुरंग |
19 |
सहज चाळले.. |
प्राजु |
31 |
कलमी झाड |
फ्रॅक्चर बंड्या |
1 |
माझी गाथा .....! |
विशाल कुलकर्णी |
7 |
माझी पण एक (पाडीव) कविता (काव्यरस - टिंगल) |
युयुत्सु |
5 |
मनातली शाळा |
हृषीकेश पतकी |
15 |
आठवते का सारे सारे? |
पाषाणभेद |
4 |
(सहज चोळले..) |
ज्ञानेश... |
7 |
(नाठाळ मुलांसाठी) बालकविता |
धनंजय |
6 |
(तरीबी तिच्यायला आमी येक इडंबन करनार !!) |
चतुरंग |
26 |
लहान मुलांना पोटशूळ झाल्यास म्हणायचा मंत्र |
धनंजय |
14 |
स्वातंत्र्यदिन (?) चिरायु होवो ......! |
विशाल कुलकर्णी |
9 |
गिफ्ट |
हृषीकेश पतकी |
16 |
कृष्णार्पण |
अरुण मनोहर |
9 |
मी एक सिग्नल पिवळा |
फ्रॅक्चर बंड्या |
7 |
दिवाळीची पहाट |
फ्रॅक्चर बंड्या |
8 |
अर्थ |
अ-मोल |
2 |
भूमिका |
क्रान्ति |
14 |
राधा |
क्रान्ति |
20 |
तेच तेच परत परत |
गोगट्यांचा समीर |
2 |
भारतीय ! |
विशाल कुलकर्णी |
13 |
कोंढाणा |
उदय सप्रे |
24 |
नमन |
गोगट्यांचा समीर |
1 |
स्वप्नांचे पहारेकरी |
फ्रॅक्चर बंड्या |
2 |
परिणिता.. |
प्राजु |
21 |
|| गीत अभिमानाचे स्फुरु दे || |
मनीषा |
12 |
विझलेला विद्वंश |
विजुभाऊ |
8 |
पुन्हा |
क्रान्ति |
18 |
(डांबिस पिवळा) |
पिवळा डांबिस |
30 |
कविता लिहिताना! |
गोगट्यांचा समीर |
8 |
(थांब ना ...) |
३_१४ विक्षिप्त अदिती |
12 |
जन उडाण संपाचे |
कौतुक शिरोडकर |
4 |
थांब ना.. |
प्राजु |
13 |
काहीच्या काही... |
विमुक्त |
3 |
बेधडक जगायचय |
फ्रॅक्चर बंड्या |
4 |
(थांब ना..) |
चेतन |
0 |
प्रिय सौ. लेकीस... |
सुबक ठेंगणी |
35 |
'नांदा सौख्यभरे' (राखी तू मांडले। तुझे स्वयंवर) |
अविनाश ओगले |
5 |
ध्येय! |
राघव |
9 |
तिने केली एक कविता |
दत्ता काळे |
19 |
आधुनिक रामायण .... |
विशाल कुलकर्णी |
2 |
मल्हारसांज |
कौतुक शिरोडकर |
7 |
झोपडपट्टी? |
ऋषिकेश |
18 |
(गलका!) |
केशवसुमार |
5 |
चारित्र्य |
शरदिनी |
21 |
(कट्ट्यानंतरचे कवित्व) |
पिवळा डांबिस |
30 |
(अजून आणखी एक ईडंबन केलं आहे.) |
श्रीकृष्ण सामंत |
25 |
(धोतरत्र्य ) |
विजुभाऊ |
2 |
एक उसासा..... |
JAGOMOHANPYARE |
3 |
या तुम नहीं या हम नहीं |
पंकज |
2 |
खिडकीकडून खिडकीकडे |
रंजन |
1 |
(विडंबन केलं आहे) |
बेसनलाडू |
5 |
ताई |
बेसनलाडू |
8 |
अजुन एक विडंबन |
फ्रॅक्चर बंड्या |
2 |
अजूनही... अजूनही... |
कौतुक शिरोडकर |
1 |
विडंबन हव आहे |
राधा१ |
13 |