(ती येते आणिक जाते ) |
अरुण मनोहर |
3 |
..गंधमुग्ध |
जाई अस्सल कोल्हापुरी |
9 |
म्हाळसादेवी म्हाळसाकोर्याची |
पाषाणभेद |
3 |
तोल हा मनाचा तू जरा सावर रे. |
santosh waghmare |
2 |
कोंबडी म्हणाली कोंबड्याला |
विदेश |
4 |
उद्याची बात का करु मी |
santosh waghmare |
3 |
(प्रेमी)युगुलगीत: तुझी माझी प्रित जमली |
पाषाणभेद |
2 |
रोज मरतो |
निश |
7 |
आठवतोस तू .....!! |
फिझा |
3 |
ती येते आणिक जाते |
अरुण मनोहर |
5 |
भेट |
santosh waghmare |
5 |
हल्ली मी लिहीतच नाही ...(३) |
फिझा |
13 |
काय करावे या किड्याला ? |
अत्रुप्त आत्मा |
16 |
दत्त दत्त बोलत गेलो |
पाषाणभेद |
9 |
मी हा गेम पूर्ण खेळणार.. |
ajay wankhede |
1 |
कोण होती ती.... (९) |
फिझा |
2 |
मागे वळुन बघायच नाही |
निश |
5 |
तोच थंडगार भात |
विदेश |
13 |
एकी १ |
लीलाधर |
34 |
कोण होती ती.... (८) |
फिझा |
0 |
ती पण माझ्यावर प्रेम करेल का...? |
अन्नू |
8 |
कळीकाळानं असला कसला मौका साधला |
पाषाणभेद |
1 |
आरसा |
निश |
7 |
शिदोरी |
अरुण मनोहर |
4 |
चालू नको अशी तू |
पाषाणभेद |
4 |
घे बाबाच्या कुशीत सोन्या.. |
प्राजु |
25 |
तुला जमावे मला जमावे |
सोनल कर्णिक वायकुळ |
10 |
मिसळपाव काव्यकट्टा - काव्यस्पर्धा नोव्हेंबर २००८ |
धोंडोपंत |
20 |
कधीकाळी झालेल्या कविता |
यकु |
21 |
आठवणीने दे !! |
फिझा |
5 |
मागे वळून पाहताना |
navinavakhi |
2 |
<<<<आज बसावे उद्या बसावे >>> |
सुहास.. |
8 |
चिऊताई चिऊताई |
विदेश |
4 |
वोडार |
ajay wankhede |
8 |
पण........! |
फिझा |
1 |
हिंदू असोत कोणी, कोणी असोत मुस्लीम.... |
जमीर इब्राहीम 'आझाद' |
8 |
बबडू ची कविता !! |
फिझा |
14 |
समीकरणे |
यश पालकर |
7 |
झाड |
पाषाणभेद |
3 |
नक्की कोणता मी प्राणी ...! |
विदेश |
7 |
जीवन रत्नाचे!! |
फिझा |
3 |
सख्या मला सवे तुझ्या |
मकरन्दबेहेरे |
4 |
तीन विरंगुळ्या |
विदेश |
1 |
रानातल्या फुलांचा |
अत्रुप्त आत्मा |
11 |
(सावली) |
प्रचेतस |
14 |
(काय साला त्रास आहे!) |
मेघवेडा |
37 |
वसा.. |
प्राजु |
14 |
चित्र |
मकरन्दबेहेरे |
3 |
(ऐल-पैल) |
चतुरंग |
21 |
सावली |
मकरन्दबेहेरे |
1 |
पुन्हा एकदा |
अज्ञातकुल |
4 |
ही जिवाला आस आहे |
विजुभाऊ |
37 |
अर्घ्य |
सोनल कर्णिक वायकुळ |
5 |
भरारी |
navinavakhi |
9 |
घेऊ कसा उखाणा ..? |
मनीषा |
4 |
वसा |
क्रान्ति |
27 |
खेळ दैवाचा.... |
हर्षद प्रभुदेसाई |
6 |
इवल्या इवल्या बाळाचे |
विदेश |
3 |
सुंदर चित्र ..!! |
प्रकाश१११ |
8 |
तंत्टामुक्त गाव |
उमेश कुचेकर |
3 |
इति प्रेमपुराण संपले |
विदेश |
23 |
का? |
गोमटेश पाटिल |
28 |
वैषम्य |
अज्ञातकुल |
6 |
ये र बालां |
ब्रिटिश |
36 |
म्हातारा बसलेला असतो ...!! |
प्रकाश१११ |
2 |
प्रेयसी |
विवेकखोत |
9 |
खुणा |
अज्ञातकुल |
4 |
जगण |
मयुरपिंपळे |
10 |
चान्दरात |
शिल्पा१९७३ |
6 |
हि तर सुंदर कविता झाली ! |
अविनाश खेडकर |
4 |