चिमणी |
तिरकीट |
6 |
बोलू नकोस काही |
किरण कुमार |
10 |
वडील |
वृंदा१ |
1 |
वडील |
वृंदा१ |
11 |
वडील |
वृंदा१ |
3 |
शिव शिव |
कर्रोफर नमुरा |
1 |
(कुणाच्या फांदीवर कुणाची आर्ची) |
स्वामी संकेतानंद |
11 |
(डोलकरांचे मनोगत) |
ज्ञानोबाचे पैजार |
21 |
घरट्याची ओढ |
चांदणे संदीप |
21 |
कसा फुलताना दिसू? |
चांदणे संदीप |
15 |
सावरकरांचे मनोगत |
कवि मानव |
10 |
पहाट धुके २ |
Pradip kale |
0 |
राग (अर्थातच सान्गितिक) |
खग्या |
10 |
भक्ष (भयकविता) |
अॅस्ट्रोनाट विनय |
10 |
एका लग्नाची ऐकीव गोष्ट. |
श्रीकृष्ण सामंत |
1 |
प्रीत भेटेल का गं... |
सुर्यान्श |
0 |
घर |
चाणक्य |
3 |
ती माझी होती |
दिनु गवळी |
15 |
भिकारी |
शार्दुल_हातोळकर |
24 |
Naate (इडंबन) |
दमामि |
3 |
नोटबंदीचे अभंग |
भारी समर्थ |
11 |
Naate |
Savnil |
1 |
शोर |
अबोली२१५ |
2 |
तुम्ही |
वृंदा१ |
0 |
वडील |
वृंदा१ |
0 |
वडील |
वृंदा१ |
5 |
(नाक गळतंय माझं..) |
खेडूत |
6 |
स्मरणातल्या बाप्पा |
वृंदा१ |
1 |
घर गळतंय माझं..... |
अबोली२१५ |
12 |
अंतरंग |
अमिता राउत |
2 |
कस्सा राव थांबू... |
अत्रुप्त आत्मा |
130 |
(आम्हां न कळे नज़्म) |
स्वामी संकेतानंद |
6 |
अमिट लक्ष्मणरेखा |
विवेकपटाईत |
0 |
सय संद्याकाय |
ऊध्दव गावंडे |
11 |
(बंदीपायी जीवा लागलीसे वाट) |
स्वामी संकेतानंद |
13 |
कदंब |
प्राजु |
36 |
काय तुझे होणार... मानवा |
कवि मानव |
0 |
(कोरडी भाकर) |
ज्ञानोबाचे पैजार |
12 |
रस - रस - रसायन |
हर_हुन्नरी |
2 |
कोरडा स्वर |
प्राजु |
5 |
नितंब (विडंबन) |
दमामि |
11 |
सय संद्याकाय |
ऊध्दव गावंडे |
0 |
स्वार्थाच्या बाजारी, मैत्री अशी रंगली |
विवेकपटाईत |
1 |
नायक क्रमांक एक |
ज्ञानोबाचे पैजार |
28 |
वास्तव |
विशाल कुलकर्णी |
19 |
माणुसकी |
वेल्लाभट |
15 |
जुन्या मराठी कविता |
विवान |
4 |
तत्वा, तुझी किंमत बघ! |
वेल्लाभट |
17 |
चोरले जाणार नाही 'ते' |
भारी समर्थ |
10 |
(लिहितो विडंबन स्वतःच साठी) |
ज्ञानोबाचे पैजार |
19 |
कुण्या गावचा कोण? |
अत्रुप्त आत्मा |
30 |
लिहितो कविता तुमच्यासाठी... |
अत्रुप्त आत्मा |
26 |
अंतरे |
परिधी |
2 |
पहाट धुके |
Pradip kale |
7 |
गोंधळ |
ज्योति अळवणी |
1 |
ऐक ना साजणे |
सोहम कामत |
24 |
मनाचा एकांत - सरोवरातील नाव |
शिव कन्या |
4 |
!! रात्र जिवलग सखी जाहली !! |
कवि मानव |
4 |
लखलाभ! |
रातराणी |
25 |
अरे पाचशे हजार |
मधुका |
6 |
अंकुर |
जव्हेरगंज |
3 |
तू फक्त..... |
ज्योति अळवणी |
11 |
मळमळ |
चाणक्य |
12 |
(फेंदारलेल्या मिशा....) |
नाखु |
16 |
कळले नाही |
सोहम कामत |
0 |
जन पळभर म्हणतील 'बाय बाय' ! |
लीना कनाटा |
3 |
तिचे अभंग…। |
वटवट |
14 |
तू ........ |
विनायकपाटील८९ |
4 |
तू आणि मी |
Bhagyashri sati... |
4 |
(काळी असे कुणाची) |
ज्ञानोबाचे पैजार |
27 |