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कदंब |
प्राजु |
36 |
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काय तुझे होणार... मानवा |
कवि मानव |
0 |
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(कोरडी भाकर) |
ज्ञानोबाचे पैजार |
12 |
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रस - रस - रसायन |
हर_हुन्नरी |
2 |
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कोरडा स्वर |
प्राजु |
5 |
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नितंब (विडंबन) |
दमामि |
11 |
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सय संद्याकाय |
ऊध्दव गावंडे |
0 |
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स्वार्थाच्या बाजारी, मैत्री अशी रंगली |
विवेकपटाईत |
1 |
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नायक क्रमांक एक |
ज्ञानोबाचे पैजार |
28 |
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वास्तव |
विशाल कुलकर्णी |
19 |
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माणुसकी |
वेल्लाभट |
15 |
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जुन्या मराठी कविता |
विवान |
4 |
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तत्वा, तुझी किंमत बघ! |
वेल्लाभट |
17 |
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चोरले जाणार नाही 'ते' |
भारी समर्थ |
10 |
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(लिहितो विडंबन स्वतःच साठी) |
ज्ञानोबाचे पैजार |
19 |
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कुण्या गावचा कोण? |
अत्रुप्त आत्मा |
30 |
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लिहितो कविता तुमच्यासाठी... |
अत्रुप्त आत्मा |
26 |
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अंतरे |
परिधी |
2 |
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पहाट धुके |
Pradip kale |
7 |
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गोंधळ |
ज्योति अळवणी |
1 |
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ऐक ना साजणे |
सोहम कामत |
24 |
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मनाचा एकांत - सरोवरातील नाव |
शिव कन्या |
4 |
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!! रात्र जिवलग सखी जाहली !! |
कवि मानव |
4 |
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लखलाभ! |
रातराणी |
25 |
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अरे पाचशे हजार |
मधुका |
6 |
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अंकुर |
जव्हेरगंज |
3 |
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तू फक्त..... |
ज्योति अळवणी |
11 |
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मळमळ |
चाणक्य |
12 |
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(फेंदारलेल्या मिशा....) |
नाखु |
16 |
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कळले नाही |
सोहम कामत |
0 |
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जन पळभर म्हणतील 'बाय बाय' ! |
लीना कनाटा |
3 |
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तिचे अभंग…। |
वटवट |
14 |
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तू ........ |
विनायकपाटील८९ |
4 |
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तू आणि मी |
Bhagyashri sati... |
4 |
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(काळी असे कुणाची) |
ज्ञानोबाचे पैजार |
27 |
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माझ्या प्रेमाचे मनोगत |
सोहम कामत |
19 |
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!! जीवना.. !! |
कवि मानव |
2 |
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( काळा असे कुणाचा) |
स्वामी संकेतानंद |
22 |
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गेले.. द्यायचे राहुनी तुमचे 500 शें चे ते ऒझे |
अत्रुप्त आत्मा |
11 |
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शूर नेते |
सोहम कामत |
1 |
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मोदी सरकारने पाचशे हजाराची नोट बंद केली |
पाषाणभेद |
2 |
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मोदी सरकारने पाचशे हजाराची नोट बंद केली |
पाषाणभेद |
0 |
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मोदी सरकारने पाचशे हजाराची नोट बंद केली |
पाषाणभेद |
0 |
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मोदी सरकारने पाचशे हजाराची नोट बंद केली |
पाषाणभेद |
0 |
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(पडुन आहे नोट अजुनी) |
स्वामी संकेतानंद |
42 |
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प्रेम....? |
Bhagyashri sati... |
54 |
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खुलता कळी खुलेना |
अरुण मनोहर |
5 |
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मनाच्या खिशात... |
संदीप डांगे |
9 |
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कल्पनेचे महेर |
कवि मानव |
3 |
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ये तू मैदानात : शेतकरी गीत |
गंगाधर मुटे |
0 |
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अपुले प्रधानमंत्री मोदी |
सोहम कामत |
34 |
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कधी वाटते |
सोहम कामत |
1 |
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वैज्ञानिक दृष्टीकोण |
सोहम कामत |
17 |
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शिवरुद्र ढोल ताशा पथकाचे शीर्षक गीत |
वेल्लाभट |
25 |
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कुशी |
राजेंद्र देवी |
2 |
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आयुष्य |
Bhagyashri sati... |
5 |
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जरा जपून |
Bhagyashri sati... |
18 |
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ती.... |
Jabberwocky |
4 |
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एक तू |
ज्योति अळवणी |
0 |
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एकमेकांना सोडून जातांना...! |
Bhagyashri sati... |
3 |
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वादळ |
Bhagyashri sati... |
26 |
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!! माझ्या सवता !! |
कवि मानव |
0 |
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मला गरज आहे तुझी |
Bhagyashri sati... |
14 |
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फक्त तुझ्यासाठी...! |
Bhagyashri sati... |
8 |
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फक्त तुझ्यासाठी...! 2 |
Bhagyashri sati... |
9 |
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एक स्वप्न होत माझं...! |
Bhagyashri sati... |
2 |
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!! आता !! |
कवि मानव |
0 |
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(शीर्षक सुचले नाही ) - extension |
कवि मानव |
2 |
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(शीर्षक सुचले नाही ) |
कवि मानव |
12 |
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अंधाराच्या प्रतिक्षेत सूर्य आणि इतर चोर |
भृशुंडी |
5 |