कधी भास्करबुवा जे पाहू शकत नाहीत ते पाहण्याच्या प्रसंग येईल असं वाटलं नव्हतं पण म्हंटलं होऊन जाऊ दे!
तेव्हा या विभागात आमच्या पदार्पणाचा प्रयत्न, त्यासाठी कारणीभूत झाली ती ही प्रेरणा
आशा आहे की मूळ प्रेरणेच्या अनुषंगानेच आमचा प्रयत्न झालेला आहे.
नाक्या नाक्यावर तुझा हक्क
मला नाकारता येईना
अड्ड्याची जुळवणी
काट्याचा नायटा करतेय...
मुजोरीची बारीक सयही
मला दाखवता येईना
परत आलेल्या पंटरांचीच
सतत सालटी निघतेय...
खातं होतंच कुठे? पण जे होतं ते
मला आता उघडता येईना
उधारीतल्या वारूणी गिळूनही
नरडेच चिंब ना होतेय...
बतावणींची यादी चाळली तरी
अजिबात अंदाज येईना
केव्हातरी मला आठवण येईल
दादागिरी समजूत घालतेय...
प्रतिक्रिया
10 Nov 2012 - 12:04 am | जेनी...
=)) =)) .
=))
=))
10 Nov 2012 - 12:53 am | सूड
वाह वाह !! लई झ्याक.
10 Nov 2012 - 8:05 am | अन्या दातार
ठ्याॅ
10 Nov 2012 - 8:31 am | लीलाधर
ये हूई ना बात प्रास भौ लई म्हंजे लई म्हंजे लईच झ्याक बगा आवडेश बर्का :)
10 Nov 2012 - 8:41 am | प्रचेतस
लै भारी हो प्रासदादा.
10 Nov 2012 - 11:52 am | अत्रुप्त आत्मा
ए..........ढिश्क्यांव...ढिश्क्यांव...ढिश्क्यांव...!
10 Nov 2012 - 2:51 pm | पैसा
एका सुपरफास्ट विडंबनं पाडणार्याला संपादक करून त्याच्या मुसक्या आवळल्या पण त्याची जागा समर्थपणे घेतल्याबद्दल हाबिणंदन! लै भारी!
10 Nov 2012 - 8:06 pm | प्यारे१
ऐसा क्या कर्ते आपा??? ऐसे शिक्रेटा नक्को फोडू ना!
बाकी प्रास'ब्वां'चा विजय असो!
10 Nov 2012 - 9:47 pm | अन्या दातार
एखाद्याच्या मुसक्या आवळण्यासाठी संपादक केले जाते हे थोडक्यात सांगितल्याबद्दल संपादक पॆसा यांचे आभार! :-)
11 Nov 2012 - 1:25 am | जेनी...
मुस्क्या मुद्द्यावर सहमत ;)
10 Nov 2012 - 11:41 pm | अत्रुप्त आत्मा
@एका सुपरफास्ट विडंबनं पाडणार्याला संपादक करून त्याच्या मुसक्या आवळल्या >>> आणी म्हणे,,,,,,, ''मी विडंबक नाही हो...............!''
10 Nov 2012 - 3:03 pm | सविता००१
तुफान लिहिलस. बाकी हे पण येतं वाटतं डॉक्टर तुम्हाला??????? बेश्टम बेष्ट
10 Nov 2012 - 5:10 pm | जेनी...
तुझी नी माझी खुन्नस! :-/
10 Nov 2012 - 5:49 pm | किसन शिंदे
:D
टिप्पीकल!!
10 Nov 2012 - 7:45 pm | सुहास..
पदार्पणातच ढिंगाणा !!
मस्तच !
मुजोरीची बारीक सयही
मला दाखवता येईना
परत आलेल्या पंटरांचीच
सतत सालटी निघतेय... >>>
संदर्भ डोस्क्यात यायला जरा उशीरच झाला, पण आल्यावर महाभयन फुटलो हसुन !!
लगे रहो !
10 Nov 2012 - 8:37 pm | मृगनयनी
मस्त विडम्बन!!!
11 Nov 2012 - 12:38 am | बॅटमॅन
मस्त वि "डम्ब" न !!!
11 Nov 2012 - 2:15 am | सुहास झेले
लैच =)) =))
11 Nov 2012 - 6:59 am | ५० फक्त
लै भारी ओ वैद्यबुवा, बरं पण नक्की कधीची खुन्नस म्हणायची ही.
12 Nov 2012 - 12:10 pm | ह भ प
खटक्याव ब्वॉट.. जाग्याव पल्टी..
12 Nov 2012 - 12:38 pm | जयवी
:) मस्त !!
12 Nov 2012 - 12:39 pm | मूकवाचक
=))