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पाऊस... |
दिनेश५७ |
1 |
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.....माझा शेतकरी राजा..... |
Bhagyashri sati... |
3 |
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वाट! |
जव्हेरगंज |
7 |
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मनातले माझ्या |
Bhagyashri sati... |
5 |
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स्वप्नातली शामली |
दिनु गवळी |
27 |
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तुझ्या नकळत |
अविनाशकुलकर्णी |
7 |
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बंद पडलं.. |
अत्रुप्त आत्मा |
41 |
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आपली तर काय..... |
वपाडाव |
73 |
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( एका पावसात सगळ्यानी अडकायचं ) |
अमोल केळकर |
3 |
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समाधान ! |
खेडूत |
9 |
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तुला देव कसं म्हणायचं? |
वेल्लाभट |
6 |
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मनातले माइ्या |
Bhagyashri sati... |
7 |
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मला ना तुझ्या प्रेमाचं गणितच कळत नाही, |
जगप्रवासी |
23 |
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तो नुसता ह्ंसायचा |
तिमा |
19 |
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गारवा |
अविनाशकुलकर्णी |
12 |
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.मला मात्र पत्नी गोरी हवी.. |
कानडाऊ योगेशु |
8 |
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कविता |
आ युष्कामी |
0 |
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राहून गेलेलं |
पिशी अबोली |
34 |
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वाट पहात आहे..... |
शिव कन्या |
2 |
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आळस |
जव्हेरगंज |
2 |
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..आयुष्याला मी सौख्याचा बाजार म्हणालो.. |
कानडाऊ योगेशु |
17 |
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उन्हाळ्यातले थेंब (हायकू) |
धनंजय |
32 |
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देव गाभाऱ्याबाहेर निघाला! |
DEADPOOL |
30 |
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(किती लौकर आज उजाडलं बाई)............निकोलोडिऑन व्हर्शन |
अभ्या.. |
32 |
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भूतकाळ सुरु होतो... |
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1 |
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मार्कर |
ए ए वाघमारे |
3 |
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..तुझे टाळतो मी अताशा शहर.. |
कानडाऊ योगेशु |
5 |
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गझल :- जंगलातले नियम इथे लावायचे |
स्वामी संकेतानंद |
6 |
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हमारी... अधुरी...... नव्वदोत्तरी.............................. |
मारवा |
5 |
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सुंदरी काय आहे तुझ्या मनांत? |
अविनाशकुलकर्णी |
6 |
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वात्रटिका - झिंगाट प्रेम |
विवेकपटाईत |
1 |
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"व्वा…क्या बात है…!" |
अश्विनी वैद्य |
2 |
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पावसामधल भंकस इंद्रधनुष्य |
सुशेगाद |
3 |
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(या क्वार्टरवेळी) |
चतुरंग |
20 |
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निशाण |
म्हसोबा |
2 |
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विस्तारभयास्तव |
स्वामी संकेतानंद |
16 |
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व्हिडीओ शूट |
चाणक्य |
8 |
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मायीवाली ग्लोबल कविता |
स्वामी संकेतानंद |
24 |
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समुद्र |
विश्वेश |
5 |
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बारा अमावास्यांचे अंधार |
पालीचा खंडोबा १ |
8 |
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हिरवीन |
चांदणे संदीप |
28 |
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जेव्हा माझ्या कर्जांना (एका बँकरचे गार्हाणे) - विडंबन |
मंदार दिलीप जोशी |
12 |
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जीवनाच्या डावपेचांची नसे पत्रास आता .... |
विशाल कुलकर्णी |
2 |
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निषेध! |
जव्हेरगंज |
16 |
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....तेव्हा तू मला फार फार आवडतेस....प्रवास ५ |
कानडाऊ योगेशु |
18 |
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गेले मोदी कुणीकडे |
anilchembur |
22 |
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तर्राट झालं जी... |
सायकलस्वार |
14 |
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....थांबले ट्राफीक आता... |
कानडाऊ योगेशु |
3 |
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वेदनेचा गाव |
रातराणी |
24 |
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निषेध! |
जव्हेरगंज |
0 |
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निषेध! |
जव्हेरगंज |
0 |
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चालवायचंच म्हटलं तर... |
जव्हेरगंज |
5 |
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जीव नांगरटीला आलाय |
जव्हेरगंज |
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..तेव्हा मला तू फार फार आवडतेस..प्रवास ४ |
कानडाऊ योगेशु |
20 |
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<मी टाकलेल्या एकूण (धागा)पिंका> |
नाखु |
9 |
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फक्त तुझ्यामुळेच |
bond |
3 |
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..किती लौकरच आज उजाडलं बाई.. |
कानडाऊ योगेशु |
11 |
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इतक्या सहज नसतं शक्य... |
वटवट |
4 |
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..कोणी कसाब झाले,कोणी कलाम झाले.. |
कानडाऊ योगेशु |
15 |
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<<<माजबुरी है>>> |
नाखु |
9 |
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< < < मजबूरी है > > > |
रातराणी |
10 |
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< < मजबुरी है > > |
ज्ञानोबाचे पैजार |
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अनुवादः तू भेटतेस अशी. मूळ कविता: जरूरी है |
मिसळलेला काव्यप्रेमी |
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मोबदला |
पथिक |
3 |
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बायको कोण असते... |
निओ |
4 |
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..विचारेन त्यालाच कॉफी चहा.. |
कानडाऊ योगेशु |
8 |
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< < < < मजबूरी हय > > > > |
चांदणे संदीप |
11 |
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तेव्हा मला तू फार फार आवडतेस...! |
कानडाऊ योगेशु |
84 |
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एक पावसाळी कविता |
पथिक |
15 |
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नंगा नाचेन मी एक दिवस |
पथिक |
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