(प्रेरणा - http://misalpav.com/node/22536 ही रचना)
तर्ककुतर्की खंडनमंडन
अभिनिवेशी मतप्रतिपादन
चिल्लरसांख्यी बथ्थडगोडी
सूज्ञजनांचे अरण्यरूदन
छद्मसाधुत्व अतिबोभाटा
गुरूपदप्राप्ती आटापीटा
आंजासंस्थळ फुकटचव्हाटा
सद्वस्तुप्राप्ती घडेना घंटा!
निराकाराची धुंद समाधी
भ्रांतप्रचिती वृथाउपाधी
चित्तदशेची भगेंद्रव्याधी
भक्ती साधी, भक्ती साधी ....
तळटीपा:
साधी - सरळ, सोप्पी, सुसाध्य
प्रतिक्रिया
24 Aug 2012 - 1:55 pm | प्रचेतस
_/\_
26 Aug 2012 - 7:33 pm | अत्रुप्त आत्मा
24 Aug 2012 - 2:00 pm | अन्या दातार
24 Aug 2012 - 2:01 pm | बॅटमॅन
पैतळ्याचे दार्शनिक असे हे अप्रतिम मौकवाचक्य आहे ;)
24 Aug 2012 - 2:31 pm | अक्षया
+ १
25 Aug 2012 - 11:06 am | राघव
असेच म्हणतो.
राघव
25 Aug 2012 - 11:07 am | राघव
असेच म्हणतो.
छद्मसाधुत्व अतिबोभाटा
गुरूपदप्राप्ती आटापीटा
आंजासंस्थळ फुकटचव्हाटा
सद्वस्तुप्राप्ती घडेना घंटा!
या ओळी मस्त! :)
राघव
24 Aug 2012 - 2:08 pm | किसन शिंदे
भारीच. :D
24 Aug 2012 - 2:11 pm | बॅटमॅन
+१.
चित्तदशेची भगेंद्रव्याधी तर केवळ नोबेलपात्र!!
24 Aug 2012 - 2:15 pm | अन्या दातार
अगदी अगदी
24 Aug 2012 - 7:40 pm | रमताराम
शमत हाय.
24 Aug 2012 - 10:35 pm | पक पक पक
भन्नाट.......
24 Aug 2012 - 2:12 pm | सूड
वाह वाह !!
:D
24 Aug 2012 - 2:12 pm | स्पा
मेलो मेलो![](http://smilearchive.com/s/contrib/ed/laugh.gif)
![](http://smilearchive.com/s/contrib/ed/laugh.gif)
![](http://smilearchive.com/s/contrib/ed/laugh.gif)
नीर क्षीर सागर विवेक बुद्धी अनंतात विलीन झाली ...
अरारारा
क लिवलंय,क लिवलंय
संजयाला बोलवा रे कुणीतरी , मा पामराच्या साध्या चक्षुंना या काव्याचे रसग्रहण करता येत नाहीये![](http://smilearchive.com/s/contrib/ed/laugh.gif)
त्याला दिव्य दृष्टीच हवी
(धूर्त राष्ट्र ) इस्पा
24 Aug 2012 - 3:27 pm | शुचि
हाहाहा :) मस्त टोले.
24 Aug 2012 - 3:53 pm | पुण्याचे वटवाघूळ
घंटा कळले नाही.
24 Aug 2012 - 5:36 pm | पैसा
मुकोबा कधीतरीच तोंड उघडतो पण मग कसाच थांबत नाही!
24 Aug 2012 - 5:40 pm | बिपिन कार्यकर्ते
=)))
दे दणका! ;)
24 Aug 2012 - 5:49 pm | नाना चेंगट
हम्म. आधी या काव्याला न वाचता त्याचे रसग्रहण कम निरुपण करायचा विचार होता.
चुकून वाचले. थोडे समजले.
मग परत वाचले. अजुन थोडे समजले.
विचार केला लिहू.
तेव्हा समजत नाही असे वाटले.
मग परत वाचले.
आता मला एवढेच समजते की मला समजत नाही,
थोडक्यात निरुपणाची आयडीया... कॅन्सल. ;)
24 Aug 2012 - 6:43 pm | llपुण्याचे पेशवेll
वाह वाह छाण छाण. :)
24 Aug 2012 - 10:03 pm | शिल्पा ब
हि हि हि : : :
और हम बोले तो ...
24 Aug 2012 - 10:34 pm | प्रा.डॉ.दिलीप बिरुटे
तर्ककुतर्की खंडनमंडन
अभिनिवेशी मतप्रतिपादन
चिल्लरसांख्यी बथ्थडगोडी
सूज्ञजनांचे अरण्यरूदन
छान. वरील ओळी मोठ्या आवाजात म्हणुन पाहिल्या. मजा आली. :)
-दिलीप बिरुटे
24 Aug 2012 - 10:45 pm | चैतन्य दीक्षित
गुर्जी, मान गये !
25 Aug 2012 - 2:21 am | रामपुरी
ह ह पु वा
काय हाणलाय.. पार बाउंड्रीच झाली
25 Aug 2012 - 7:03 am | निवांत पोपट
तुमचे 'एका तळ्यात होती'चे विडंबन फार आवडले होते. हे पण जबरदस्त! तळटीप म्हणजे कहरच आहे. ;)
25 Aug 2012 - 12:32 pm | प्यारे१
क ड क...!
26 Aug 2012 - 3:24 pm | कवितानागेश
म्याउ!!! :)
26 Aug 2012 - 6:27 pm | अस्वस्थामा
मूकवाचका.. बऱ्याच दिवसांनी 'पद्यात' काही फक्कड असे वाचायला मिळाले..
सगळ्या गोष्टी नाही कळल्या... पण भावल्या मात्र नक्की.. :)
बाकी तळटीप म्हणजे 'आईसक्रीमवरची चेरी' .. अचूक आणि समर्पक..
(मिपावरवर फ्यान-लिस्टची सोय हवी... ;) )