ट्रिंग ट्रिंग ट्रिंग ट्रिंग
ऐकू आली फोनची रिंग -
कुणीच नाही फोनपाशी
उंदीरमामा बिळापाशी !
उंदीरमामा हसले मिशीत ,
टेबलावरती चढले खुषीत -
फोन लावला कानाला
जोरात लागले बोलायला -
" उंदीरमामा मी इकडे ;
कोण बोलतय हो तिकडे ? "
- विचारले मामानी झटकन
उत्तर आले की पटकन-
" मी तुमची मनीमावशी,
कालपासून आहे उपाशी ."
- मनीमावशी भलती हुषार ,
टुणकन मामा बिळात पसार !!
प्रतिक्रिया
16 Jan 2011 - 11:38 am | पियुशा
हा हा हा हा !
16 Jan 2011 - 2:58 pm | पिंगू
हाहाहा टॉम आणि जेरी लगेच डोळ्यासमोर आले...
16 Jan 2011 - 11:19 pm | प्राजु
अगदी अगदी!!
मस्तच!
16 Jan 2011 - 4:18 pm | सहज
मस्त!
16 Jan 2011 - 5:51 pm | प्रकाश१११
छान आणि मस्त कविता
16 Jan 2011 - 9:09 pm | टारझन
विदेशी घेऊन केलेली काव्यरचना :)
- स्वॉदेश
16 Jan 2011 - 9:14 pm | बिपिन कार्यकर्ते
हाहाहा!!! एकदम मस्त!
16 Jan 2011 - 10:59 pm | आत्मशून्य
.
16 Jan 2011 - 11:52 pm | डावखुरा
17 Jan 2011 - 12:10 am | डावखुरा
17 Jan 2011 - 7:58 am | मदनबाण
मस्त. :)
17 Jan 2011 - 12:21 pm | मुलूखावेगळी
छान आहे
बडबड गीत वाटत आहे
17 Jan 2011 - 1:26 pm | परिकथेतील राजकुमार
हा हा हा
खासच.
17 Jan 2011 - 2:46 pm | RUPALI POYEKAR
खुपच सुंदर
रुपाली
18 Jan 2011 - 5:38 pm | पाषाणभेद
एकदम मस्त
18 Jan 2011 - 5:46 pm | ज्ञानराम
हा हा हा ... मज्जा वाटली वाचून....