आपण सारे शिर्डीला जावूया
या संसारातूनी....या या संसारातूनी
थोडा वेळ काढूया....हो हो थोडातरी वेळ काढूया...
चला रे चला आपण सारे शिर्डीला जावूया
शिर्डीला जावूया ||धृ||
शिर्डीला लागले साईबाबांचे पाय हो....
साईनाथांचे पाय हो
शिर्डीवाचूनी मग दुसरा स्वर्ग असेल काय हो?
एकदातरी...
एकदातरी आपण तो स्वर्ग पाहूया
चला रे चला आपण सारे शिर्डीला जावूया
शिर्डीला जावूया ||१||
साईबाबांनी कितीतरी चमत्कार हो केले....
हो हो चमत्कार हो केले
गोरगरीबांचे कष्ट पळवून नेले
बाबांच्या दर्शनाने...
बाबांच्या दर्शनाने आपले दु:ख दुर करूया
चला रे चला आपण सारे शिर्डीला जावूया
शिर्डीला जावूया ||२||
बाबांच्या धुनीतला जाळ आजही जळतो
हो हो आजही जळतो
पारावरचा लिंब आजही बहरतो
साईबाबांची अनुभूती...
साईबाबांची अनुभूती आपणही घेवूया
चला रे चला आपण सारे शिर्डीला जावूया
शिर्डीला जावूया ||३||
- पाषाणभेद (दगडफोड्या)
०४/११/२०१०
प्रतिक्रिया
7 Dec 2010 - 4:57 pm | स्पा
अतिशय सुंदर
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अनंतकोटी ब्रह्मांड नायक, राजाधिराज योगीराज, परब्रम्ह सत्गुरू श्री साईनाथ महाराज की जय
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7 Dec 2010 - 5:58 pm | चिंतामणी
दासगणु महारांच्या "शिर्डी माझे पंढरपुर" ची आठवण झाली.
7 Dec 2010 - 6:06 pm | अमोल केळकर
सुंदर काव्य
अमोल
7 Dec 2010 - 6:44 pm | अवलिया
वा ! मस्त !!
7 Dec 2010 - 7:21 pm | अविनाशकुलकर्णी
मस्त्
8 Dec 2010 - 2:00 pm | गणेशा
आवडली कविता/गाणे
8 Dec 2010 - 2:03 pm | मदनबाण
छान... :)
हल्ली रोज पायी पालखी घेउन शिर्डी ला जाणारे लोक पाहत आहे...
8 Dec 2010 - 4:47 pm | प्रकाश१११
चांगली चाल लागेल. त्यासाठी खूप शुभेच्छा !1
8 Dec 2010 - 4:53 pm | जागु
ओम श्री साईनाथाय नमः