चंद्रमण्यांचे पाझर

अनन्त्_यात्री's picture
अनन्त्_यात्री in जे न देखे रवी...
15 Nov 2017 - 3:40 pm

आज माझ्या ओंजळीत
चंद्रमण्यांचे पाझर
भले विझून जाऊदे
माथ्यावर चंद्रकोर

पायतळी आज माझ्या
अब्ज-रंगी पखरण
भले अंधुक होउदे
इंद्रधनूची कमान

आज माझ्या रोमरोमी
ब्रह्मकमळ फुलेल
कोडे गहन कधीचे
विनासायास सुटेल

मुक्त कविताकवितामुक्तक

प्रतिक्रिया

अत्रुप्त आत्मा's picture

15 Nov 2017 - 5:30 pm | अत्रुप्त आत्मा

छान.

अत्रुप्त आत्मा's picture

15 Nov 2017 - 5:31 pm | अत्रुप्त आत्मा

छान.

पुंबा's picture

15 Nov 2017 - 5:35 pm | पुंबा

सुंदर..!!
तुमची शब्दकळा अफाट आहे खरोखर..

तुमची शब्दकळा अफाट आहे खरोखर.. अगदी हेच म्हणायचे आहे.
चंद्रमण्यांचे पाझर ही कल्पना किती सुरेख आहे.

अनन्त्_यात्री's picture

16 Nov 2017 - 10:42 am | अनन्त्_यात्री

आपल्या प्रतिसादांबद्दल मनःपूर्वक आभार.

यशोधरा's picture

17 Nov 2017 - 1:17 am | यशोधरा

सुरेख!

अनन्त्_यात्री's picture

20 Nov 2017 - 10:31 am | अनन्त्_यात्री

आपल्या प्रतिसादाबद्दल आभार

प्रा.डॉ.दिलीप बिरुटे's picture

21 Nov 2017 - 10:48 pm | प्रा.डॉ.दिलीप बिरुटे

आवडली कविता.

अनन्त्_यात्री's picture

23 Nov 2017 - 9:08 am | अनन्त्_यात्री

धन्यवाद.