माह्या मायेचं कारटं

जव्हेरगंज's picture
जव्हेरगंज in जे न देखे रवी...
8 Dec 2015 - 10:00 pm

माह्या मायेचं कारटं
जाई खळ्यात मळ्यात
गाऊनी अभंग
खेळी शेणात शेणात

माह्या मायेचं कारटं
चाले हसत रुसत
भाळूनी चंद्राला
शोधी आभाळ आभाळ

माह्या मायेचं कारटं
सुटे ऊन्हात रानात
शोधीत पाण्याला
होई छप्पर छप्पर

माह्या मायेचं कारटं
निजे सुखात दु:खात
होऊनी भाकरी
जाई थापत थापत

शांतरसकविता

प्रतिक्रिया

पालीचा खंडोबा १'s picture

8 Dec 2015 - 10:10 pm | पालीचा खंडोबा १

वा वा फिदा झाहलो

निनाव's picture

9 Dec 2015 - 1:15 am | निनाव

+१

अभ्या..'s picture

9 Dec 2015 - 12:08 am | अभ्या..

माऊली. आज मिपा झाली पंढरी तुमच्या चंद्रभागेने. अशीच वाहू दे.
नमस्कार घ्या देवा.

मितान's picture

9 Dec 2015 - 7:15 am | मितान

सुरेख !
फार गोड कविता !!!!

जातवेद's picture

9 Dec 2015 - 10:58 am | जातवेद

+१

नीलमोहर's picture

9 Dec 2015 - 11:12 am | नीलमोहर

__/\__

पैसा's picture

9 Dec 2015 - 11:14 am | पैसा

सुंदर कविता!

अत्रुप्त आत्मा's picture

9 Dec 2015 - 11:15 am | अत्रुप्त आत्मा

उत्तम

नाखु's picture

9 Dec 2015 - 11:22 am | नाखु

_/|\_

प्रचेतस's picture

9 Dec 2015 - 4:06 pm | प्रचेतस

क्या बात है भाऊ....!!!!!!

बहिणाबाईञ्च्या वळणाने जाणारी कविता!
छानच! आवडली!

Sandy

दमामि's picture

10 Dec 2015 - 4:27 pm | दमामि

+111

अमितसांगली's picture

12 Dec 2015 - 10:13 am | अमितसांगली

सुंदर...

एस's picture

12 Dec 2015 - 10:25 am | एस

होई छप्पर छप्पर ऐवजी होई सपार सपार असा बदल केला तर अजून ठसेल असे वाटले. (सपार = गोठ्याच्या गवत, काठ्या, वैरण इत्यादी वापरून बनवलेल्या छप्पराला ग्रामीण भाषेत सपार असे म्हणतात.)

अजया's picture

12 Dec 2015 - 10:44 am | अजया

छान कविता.आवडली.

तुषार काळभोर's picture

12 Dec 2015 - 10:47 am | तुषार काळभोर

जिंकलंत तुम्ही आम्हाला..