धुंद होवुन गरजतो पाऊस आहे
हाय ओला बरसतो पाऊस आहे...
माय काळी आज पान्हावे नव्याने
स्पर्शण्या तिज तरसतो पाऊस आहे...
रान हिरवे नाचले बेभान आता
मोर होउन लहरतो पाऊस आहे
वीज कोसळते, सरी होती कट्यारी
शस्त्र ओले परजतो पाऊस आहे...
बघ धरा ओलावली आता कशाने?
भेटताना हरखतो पाऊस आहे...
का चकोरा येतसे ग्लानी सुखाने?
की तयाला भरवतो पाऊस आहे...?
चल 'विशाला' जावुया रंगून आता
अंगणी या बहरतो पाऊस आहे...
विशाल
प्रतिक्रिया
19 Jun 2015 - 9:51 am | महासंग्राम
खूब सही मतला, आवडला ….
19 Jun 2015 - 1:26 pm | पैसा
मस्त पाऊस कविता!
19 Jun 2015 - 3:37 pm | विशाल कुलकर्णी
धन्यवाद :)
19 Jun 2015 - 4:44 pm | एस
बहुत खूब!
19 Jun 2015 - 5:04 pm | सूड
जमलंय.
19 Jun 2015 - 5:10 pm | अत्रुप्त आत्मा
खूब आहे शायरी ही धुंद थोड़ी
टंक काही तू परागा सांगतो पाऊस आहे!
19 Jun 2015 - 7:57 pm | विशाल कुलकर्णी
_/\_
19 Jun 2015 - 10:58 pm | एक एकटा एकटाच
मस्त विशाल दा......
अजुन येउ देत
19 Jun 2015 - 11:38 pm | प्रचेतस
अतिशय सुरेख.
20 Jun 2015 - 9:15 am | विशाल कुलकर्णी
_/\_
20 Jun 2015 - 3:33 pm | शब्दबम्बाळ
खूपच छान! अजून येत राहू द्या! :)
21 Jun 2015 - 2:01 pm | रातराणी
टोपी काढण्यात आली आहे! खूप छान लिहिता तुम्ही!
22 Jun 2015 - 10:18 am | विशाल कुलकर्णी
धन्यवाद रातराणी _/\_
22 Jun 2015 - 6:34 pm | चुकलामाकला
वा! सुंदर!