'बाटा' रुते.. |
चतुरंग |
22 |
(मोजणी) |
केशवसुमार |
8 |
आज मावळात दंग.. |
चतुरंग |
21 |
नाकावर झाली ही सर्दी बहाल |
मीनल |
27 |
लोकल ट्रेनमध्येही सुलभ शौचालय सेवा |
शरुबाबा |
1 |
तुरुंग |
गिरीराज |
9 |
पाऊस माझ्यासाठी काय आहे? |
उदय सप्रे |
4 |
माझी प्रीत आहे |
उदय सप्रे |
4 |
मुलीनेच का नेहमी सासरी जायचं ? - कविता |
यशोदेचा घनश्याम |
8 |
जे घुसळे रवी |
अजय जोशी |
7 |
एप्रिल फुले(स्वरचित विडंबन गीत गायन) |
प्रा सुरेश खेडकर |
0 |
जन्म चारोळीचा..... |
उदय सप्रे |
1 |
हा माझा जीव तिच्या... |
केशवसुमार |
11 |
पाऊस कळलाय का? |
उदय सप्रे |
0 |
आयुष्य....."सप्टेंबर २००५" ला लिहिलेली एक कविता |
उदय सप्रे |
3 |
विडंबनाच्या चर्चेवर विडंबन... मद्यविरहित |
तळीराम |
2 |
उघड "बार" देवा आता , उघड "बार" देवा |
उदय सप्रे |
19 |
कुणी बाइ गुणगुणले.....रानारानात गेलीबाइ शीळ |
मनापासुन |
1 |
टवाळ्क्या |
चेतन |
3 |
धुन्दी - विडंबनाचा एक प्रयत्न |
चेतन |
8 |
मोबाइल उचलला |
प्रा सुरेश खेडकर |
1 |
मांजर (रेखाटन) |
वर्षा |
41 |
डोळे हे जुल्मी गडे.....रेखाटन |
वर्षा |
18 |
दिवस जुने ते स्मरायचे |
केशवसुमार |
7 |
पुण्यातील एका स्कूटरचे आत्म(घातकी)व्रूत्त्.....(तमा पुणेकरांची "स्थूल्"मानाने क्षमा मागून) |
उदय सप्रे |
2 |
भविश्यातिल रिलायन्स ग्रुप IPO |
शरुबाबा |
6 |
(एका माळेचे मणी) |
केशवसुमार |
15 |
काटा रुते कुणाला, बोंबील खाती कोणी |
ॐकार |
14 |
'सेने'तिल काटे... |
चतुरंग |
6 |
कविता सुचे कुणाला ... |
केशवसुमार |
16 |
जेव्हा तिची नि माझी ... |
केशवसुमार |
27 |
भाषा मराठी.. |
विवेकवि |
1 |
हिंदू.. |
विवेकवि |
1 |
मी.. |
विवेकवि |
0 |
((कुणि जाल का, सांगाल का..)) |
केशवसुमार |
22 |
बोले हो बॉस कुणाला (विडंबन गीत), काटा रूते कुणाला (मूळ गीत) |
प्रा सुरेश खेडकर |
2 |
बायको नावाचे वेगळेच प्रकरण आपल्या पुढे येते.... |
विजुभाऊ |
4 |
सळसळणार्या फांद्यांवरती शेंगा फिक्क्ट सोनेरी |
ॐकार |
25 |
(अधिकार) |
केशवसुमार |
14 |
विडंबन - जे खावे पचण्याचे वय निघून गेले |
अविनाश ओगले |
24 |
सुरापुराण - प्रथम अध्याय.. |
अनिकेत |
15 |
(कुणि जाल का, सांगाल का..) |
चतुरंग |
18 |
चाळ ही हदरून जाते |
केशवसुमार |
18 |
विडंबन - तोच नौरोबा घरात, स्थूल आणि स्वस्थ ही |
अविनाश ओगले |
5 |
लग्न |
सचिन |
7 |
चार चारोळ्या |
धनंजय |
23 |
सुनीतः एक प्रयत्न |
ऋषिकेश |
3 |
(वाट) |
केशवसुमार |
1 |
मी दारु प्याली नाही....... |
ब्रिटिश टिंग्या |
5 |
अंतर |
सचिन |
5 |
विडंबन-गुत्त्याच्या रे उंबरठ्यावर आपण दोघे. |
अविनाश ओगले |
4 |
या दोन ओळी घ्या... पुढचे शेर लिहा........ |
अविनाश ओगले |
7 |
तू इथे नाहीस... |
सचिन |
2 |
...फिरवा चला आरी पुन्हा!! |
केशवसुमार |
15 |
खेळ माझा संपला |
केशवसुमार |
16 |
अश्रु .... |
विवेकवि |
1 |
तुझ्याशिवाय माझे जीवन, आता जीवन उरले नाही......... |
विवेकवि |
1 |
विरह |
सचिन |
13 |
अंदाज बायकोचा वाटे खरा असावा |
अविनाश ओगले |
16 |
कांगारु |
चतुरंग |
20 |
भाउबंदकी |
बेसनलाडू |
18 |
गोळी |
केशवसुमार |
7 |
किवता |
छत्रपति |
5 |
आलबेल |
सचिन |
13 |
मला मराठी कविता लिहिणेही आवडते... पण |
वडापाव |
4 |
विडंबन |
चतुरंग |
11 |
मराठी मुलगी . |
विवेकग |
3 |
मुलींचे नखरे... |
विवेकग |
10 |
मैत्री .. |
विवेकग |
2 |
माझेही.... |
प्राजु |
9 |