स्त्री

उमेश कोठीकर's picture
उमेश कोठीकर in जे न देखे रवी...
6 Apr 2009 - 6:18 pm

स्त्री रचना
स्त्री सृष्टी
स्त्री प्रेम
स्त्री वृष्टी

स्त्री प्रिया
स्त्री माता
स्त्री कष्ट
स्त्री दाता

स्त्री बळ
स्त्री शक्ती
स्त्री मीरा
स्त्री भक्ती

स्त्री माया
स्त्री उब
स्त्री पूजा
स्त्री शुभ

स्त्री दीप
स्त्री ज्योती
स्त्री लज्जा
स्त्री मोती

स्त्री यज्ञ
स्त्री याग
स्त्री फूल
स्त्री आग

स्त्री कन्या
स्त्री भार्या
स्त्री विदुषी
स्त्री आर्या

स्त्री जीवन!
धारित्री
स्त्री अमृत
सावित्री

स्त्री लक्ष्मी
भाग्यद्वार!
स्त्री थोर
फार फार

स्त्री श्रेष्ठ?
ग्रंथ मौन
स्त्री स्थान?
सर्व गौण

स्त्री दासी?
स्त्री भिक्षा?
स्त्री भोग्य?
उपेक्षा?

स्त्री दु:ख
अमाप
स्त्री जन्म
अभिशाप!

कविताविचार

प्रतिक्रिया

क्रान्ति's picture

6 Apr 2009 - 7:16 pm | क्रान्ति

शेवटच्या ओळी सुन्न करतात! खूप खूप सुन्दर कविता!
क्रान्ति {मी शतजन्मी मीरा!}
www.mauntujhe.blogspot.com

प्राजु's picture

6 Apr 2009 - 7:19 pm | प्राजु

तुझ्या या कवितेपुढे मी नतमस्तक..!
काय नाहीये या कवितेत.. !!! सुरेख.!!
- (सर्वव्यापी)प्राजु
http://praaju.blogspot.com/

राघव's picture

6 Apr 2009 - 7:29 pm | राघव

कमीत कमी शब्दांत आशयघन कविता करण्याची हातोटी आहे तुम्हाला. येऊ द्यात अजून.
एक प्रश्न -
वरील कवितेच्या शेवटी कविता असे लिहिलेले आहे. त्याचा संदर्भ नाही समजला.

राघव

उमेश कोठीकर's picture

6 Apr 2009 - 8:00 pm | उमेश कोठीकर

ते चुकून आले होते;काढले.

शितल's picture

6 Apr 2009 - 7:45 pm | शितल

छान कविता
स्त्रीत्व समजवणारी. :)

लिखाळ's picture

6 Apr 2009 - 7:49 pm | लिखाळ

शेवटची दोन कडवी भारी.
अजून येउद्या.
-- लिखाळ.

मराठमोळा's picture

6 Apr 2009 - 9:23 pm | मराठमोळा

शेवटची दोन कडवी भारी.
सहमत आहे. सुंदर कविता!!

आपला मराठमोळा.
कोणत्याही गोष्टीचा ताप येईपर्यंत ठीक असते, पण तिचा कर्करोग होऊ देऊ नये!!

या कडव्यांत अंतर्गत काही रचना जाणवली, आणि ती आवडली. उदाहरणार्थ :

स्त्री बळ
स्त्री शक्ती
स्त्री मीरा
स्त्री भक्ती
*
स्त्री दीप
स्त्री ज्योती
स्त्री लज्जा
स्त्री मोती

शेवटची दोन कडवी हादरा देणारी आहेत. पुढील बदल चालतील का?

स्त्री दासी?
स्त्री भिक्षा?
स्त्री भोग्य?
ही उपेक्षा.
*
स्त्री दु:खा
नाही माप
स्त्री जन्म
अभिशाप!

काही कडव्यांमधली अंतर्गत रचना समजली नाही.

स्त्री यज्ञ
स्त्री याग
स्त्री फूल
स्त्री आग
*
स्त्री कन्या
स्त्री भार्या
स्त्री विदुषी
स्त्री आर्या
*
स्त्री प्रिया
स्त्री माता
स्त्री कष्ट
स्त्री दाता

(माझा जन्मदाता बाप आणि माझी जन्मदात्री आई, असे काही ऐकल्यासारखे वाटते.)

अश्विनि_क's picture

7 Apr 2009 - 2:40 am | अश्विनि_क

छान आहे कविता. चांगली जमली आहे.
अश्विनि.

उमेश कोठीकर's picture

7 Apr 2009 - 12:08 pm | उमेश कोठीकर

धनंजय! आभार. छान सांगितलेत.

जेपी's picture

12 Feb 2015 - 8:52 pm | जेपी

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