राजेंद्र देवी in जे न देखे रवी... 25 Oct 2016 - 8:23 am वाट हरवून गेली... अशीच ती माझ्या समोरून गेली जणू नभात वीज चमकून गेली मिळता नजर डोळे दिपवून गेली उधळीत गंध उडता पदर सावरून गेली जाता मागे मागे मने जुळवून गेली कळलेच नाही कधी वाट हरवून गेली राजेंद्र देवी कविता माझीमुक्त कविताकवितामुक्तक प्रतिक्रिया वाहवा! 25 Oct 2016 - 10:00 am | चांदणे संदीप बहोत खूब! Sandy धन्यवाद....चांदणेजी 25 Oct 2016 - 10:29 am | राजेंद्र देवी धन्यवाद.... हे हे...बजाओ.... नाचो 25 Oct 2016 - 11:27 am | चांदणे संदीप धत्तड तत्तड.... धत्तड... तत्तड \०/ \०/ \०/ धन्यवाद.... 25 Oct 2016 - 11:44 am | राजेंद्र देवी धन्यवाद.... आवडली! 25 Oct 2016 - 12:08 pm | बाजीप्रभू . धन्यवाद.... 25 Oct 2016 - 1:09 pm | राजेंद्र देवी धन्यवाद....
प्रतिक्रिया
25 Oct 2016 - 10:00 am | चांदणे संदीप
बहोत खूब!
Sandy
25 Oct 2016 - 10:29 am | राजेंद्र देवी
धन्यवाद....
25 Oct 2016 - 11:27 am | चांदणे संदीप
धत्तड तत्तड.... धत्तड... तत्तड \०/ \०/ \०/
25 Oct 2016 - 11:44 am | राजेंद्र देवी
धन्यवाद....
25 Oct 2016 - 12:08 pm | बाजीप्रभू
.
25 Oct 2016 - 1:09 pm | राजेंद्र देवी
धन्यवाद....