पुन्हा पाऊस

रातराणी's picture
रातराणी in जे न देखे रवी...
24 Jul 2015 - 1:25 pm

दाट दाट झाकोळली, आज आभाळाची काया
गूज धरितीशी करण्या, होई अनावर तो राया

भारावला आसमंत सारा, स्पर्श होताच मखमली
स्तब्ध होऊनी ऐकते, ती आर्जव अंतरातली

का उठते वादळ? तिच्या आसपास उडे पाचोळा
कुणी सांगा त्यांना, हा त्रुप्तिचा अबोल सोहळा

किती काळाचा विरह बाई, कसा सोसते शांत
तोही विसरून भान, मग जाई तिच्या कुशीत

बोले काही क्षणांचा सहवास ठेव माझी आठवण
कसा सोडवते ग हात, डोळ्यात पाऊस साठवून?

कविता

प्रतिक्रिया

एक एकटा एकटाच's picture

24 Jul 2015 - 1:45 pm | एक एकटा एकटाच

मस्त मस्त मस्त!!!!!!!!

चुकलामाकला's picture

24 Jul 2015 - 10:35 pm | चुकलामाकला

सुंदर!

जडभरत's picture

24 Jul 2015 - 10:45 pm | जडभरत

सुंदर!!! रोमँटीक!!!

अत्रुप्त आत्मा's picture

24 Jul 2015 - 10:50 pm | अत्रुप्त आत्मा

छान!

मनीषा's picture

25 Jul 2015 - 8:04 am | मनीषा

सुंदर!

यशोधरा's picture

25 Jul 2015 - 11:01 am | यशोधरा

सुरेख..

बोले काही क्षणांचा सहवास ठेव माझी आठवण
कसा सोडवते ग हात, डोळ्यात पाऊस साठवून?

वा, वा..

पद्मावति's picture

25 Jul 2015 - 2:29 pm | पद्मावति

सुंदर कवीता.

एस's picture

25 Jul 2015 - 3:31 pm | एस

मस्त आहे कविता!

राघव's picture

11 Aug 2015 - 6:08 pm | राघव

छान कल्पना. पु.ले.शु.