कोस अथवा मैल ही पडतील येथे तोकडे
सांगा कशी मोजायची ही मनाची अंतरे...
होतसे संवाद अपुला ते दिवस गेले कुठे
स्पर्शातुनी वितळायची ही मनाची अंतरे...
जन्म घेती नवनवे वाद का शब्दातुनी
मौनातुनी वाढायची ही मनाची अंतरे ....
एकमेकाना इथे का आज सारे टाळती
सांगा कशी मिटवायची ही मनाची अंतरे....
लांब आहे जायचे, अन प्रवासही एकटा
उमजून हे सांधायची ही मनाची अंतरे....
प्रतिक्रिया
22 Jul 2015 - 11:03 pm | पैसा
मस्त आहे कविता!
22 Jul 2015 - 11:26 pm | दमामि
आवडली,
कच्चा माल पुरवल्याबद्दल धन्यवाद!:)
22 Jul 2015 - 11:34 pm | बहुगुणी
जन्म घेती नवनवे वाद का शब्दातुनी
मौनातुनी वाढायची ही मनाची अंतरे ....
हे खासच!
23 Jul 2015 - 12:10 am | एस
फार छान कविता!
23 Jul 2015 - 8:41 am | अजया
अतिशय आवडली कविता.
23 Jul 2015 - 12:10 pm | पथिक
वा! आवडली.
23 Jul 2015 - 12:35 pm | वेल्लाभट
मीटर....?
असो. भाव छान. आवडले.
23 Jul 2015 - 12:53 pm | चुकलामाकला
म्हणूनच कविता सदरात टाकली, गझल नाही .
23 Jul 2015 - 12:58 pm | यशोधरा
सुर्रेख!
23 Jul 2015 - 1:04 pm | मित्रहो
कविता आवडली
23 Jul 2015 - 1:41 pm | पद्मावति
खूप आवडली.
23 Jul 2015 - 2:22 pm | इशा१२३
सुरेख!
23 Jul 2015 - 7:21 pm | रातराणी
आवडली! मस्त!
23 Jul 2015 - 8:30 pm | palambar
छान च पण आनखि कड्वि चाललि आसति.
24 Jul 2015 - 10:58 am | चुकलामाकला
धन्यवाद सर्वांनाच!
24 Jul 2015 - 3:21 pm | शब्दबम्बाळ
छान लिहिलीये!
25 Jul 2015 - 9:50 am | एक एकटा एकटाच
मस्त आहे
आवडली
27 Jul 2015 - 12:06 am | शैलेन्द्र
सुरेख कविता
28 Jul 2015 - 7:07 am | चुकलामाकला
धन्यवाद!
28 Jul 2015 - 10:02 pm | मनीषा
सुरेख कविता!
11 Aug 2015 - 6:17 pm | राघव
आवडेश. पु.ले.शु.