काय राव सांगू, कसं मी सांगू?
'पुण्यास भारी आहे माज'
काडी अशी सारुन आलोय आज
उगीच पिऊनी आलो फूल
उगीच मनाला पडली भूल
कळफलकाचा अन् शब्दांचा
दावियला मी भलता बाज
काडी अशी सारुन आलोय आज
जरी झिंगलो मारुन 'नीट'
लिहीत राहिलो होऊन धीट
जमली सारी पोरं कशी ही
प्रतिसादांची घुमते गाज
काडी अशी सारुन आलोय आज
सहज बोलूनि फसलो मी
उगाच बरळत बसलो मी
पंख लागूनि गेला धागा
नाहि चालला काही ईलाज
काडी उगा सारुन आलो आज
प्रतिक्रिया
31 Aug 2012 - 10:08 pm | जेनी...
काड्या अजुन व्यवस्थित सारता आल्या असत्या ..म्हणावा तेवढा विस्तव झाला नाहि .
31 Aug 2012 - 10:12 pm | अन्या दातार
नवथर पुणेरीपणा दाखवायचा क्षीण प्रयत्न! ;)
31 Aug 2012 - 11:04 pm | अत्रुप्त आत्मा
सुडूक........बेधडुक..! --^--^--^--
31 Aug 2012 - 11:06 pm | पैसा
सगळ्या मात्रा मोजून घेतल्या. परफेक्ट्ट!
31 Aug 2012 - 11:35 pm | किसन शिंदे
आता ह्याला उस्फुर्त लिखान म्हणायचं का सुड? ;)
31 Aug 2012 - 11:38 pm | गणपा
छे हल्ली पुर्वी सारखी विडंबन येत नाहीत. ;)
1 Sep 2012 - 7:30 am | ५० फक्त
नोंद घेतल्या गेल्या आहे, ...
अवांतर - अधिक महिना आहे ना म्हणुन.....
1 Sep 2012 - 8:50 am | पक पक पक
छे हल्ली पुर्वी सारखी विडंबन येत नाहीत. ;)
पण हे तर पुणेरी 'सुडंबन' आहे... :d:
1 Sep 2012 - 7:24 am | स्पंदना
काय घमघमाट आहे खमंग! बाकरवड्यांचा का?
1 Sep 2012 - 9:02 am | प्रचेतस
सूडक्या, लिहित जा रे.
1 Sep 2012 - 9:23 am | स्पा
संपादित
1 Sep 2012 - 10:18 am | मनीषा
तुमच्या या गार्हाण्याला रावांनी काय जवाब दिला ? त्ये बी लिवा की ..
1 Sep 2012 - 11:36 am | लीलाधर
त्यांच्या या गार्हाण्याला जवाब दिला गेला आहे
1 Sep 2012 - 8:12 pm | तर्री
आवडेश ! काडी = समिधा म्हणायचे का ?
24 Jul 2014 - 10:48 pm | प्रसाद गोडबोले
हे ही मस्त होतं =))
24 Jul 2014 - 11:13 pm | डॉ सुहास म्हात्रे
=))
24 Jul 2014 - 11:27 pm | सूड
हेही रत्न आणलं का वर? *wink*
24 Jul 2014 - 11:47 pm | बॅटमॅन
च्यायला, हे रत्न कसं नजरेतून सुटलं काय की? मस्त रे सूड =))
25 Jul 2014 - 5:29 am | खटपट्या
सुडाने ने रचिला पाया, आत्मुने केलाचि कळस.
25 Jul 2014 - 1:25 pm | राजेंद्र मेहेंदळे
विडंबन मस्तच जमलंय