माझी ललाटरेषा

गंगाधर मुटे's picture
गंगाधर मुटे in जे न देखे रवी...
13 Aug 2011 - 5:37 pm

माझी ललाटरेषा

धुंदीत वैभवाच्या, मस्तीत चूर झाली
माझी ललाटरेषा, मजला फितूर झाली

तब्बेत माणसाची, आहे जटील कोडे
जी काल भ्याड होती, ती आज शूर झाली

ते वीर स्वाभिमानी, जे झुंजले रणाला
औलाद आज त्यांची, का "जी हुजूर" झाली?

घे घट्ट आवळूनी, करपाश रेशमाचे
भासे असे जसे की, दमछाक दूर झाली

घे हा 'अभय' पुरावा, त्यांच्या परिश्रमाचा
ती माणसेच होती, जी कोहिनूर झाली

                                 गंगाधर मुटे
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कवितागझल

प्रतिक्रिया

मदनबाण's picture

14 Aug 2011 - 9:40 am | मदनबाण

वा... सुंदर. :)

ते वीर स्वाभिमानी, जे झुंजले रणाला
औलाद आज त्यांची, का "जी हुजूर" झाली?

अप्रतिम...

अभिजीत राजवाडे's picture

14 Aug 2011 - 10:36 am | अभिजीत राजवाडे

छान गझल.

अभिजीत राजवाडे's picture

14 Aug 2011 - 10:36 am | अभिजीत राजवाडे

छान गझल.

धन्या's picture

14 Aug 2011 - 4:00 pm | धन्या

सुंदर काव्य !!!

ते वीर स्वाभिमानी, जे झुंजले रणाला
औलाद आज त्यांची, का "जी हुजूर" झाली?

एकदम भारी...

पाषाणभेद's picture

17 Aug 2011 - 8:34 am | पाषाणभेद

छान गझल आहे.

प्रकाश१११'s picture

17 Aug 2011 - 10:06 am | प्रकाश१११

सुन्दर..!खूप्च छान..!!

प्रकाश१११'s picture

17 Aug 2011 - 10:06 am | प्रकाश१११

सुन्दर..!खूप्च छान..!!

मराठी_माणूस's picture

17 Aug 2011 - 10:47 am | मराठी_माणूस

मस्त छान.