नवरत्नहार

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मूकवाचक in जे न देखे रवी...
18 Dec 2010 - 9:40 pm

जय जय श्री गणनायका। रिद्धी सिद्धी प्रदायका। सकल अरिष्ट नाशका। एकदंता ॥१॥

अनन्य भावाने शरण। येता मज लीनपण। आले अहंतेसी मरण। भक्तीयोगे ॥२॥

कृष्णा तू ची भक्ताधार। विश्व रूपे तू साकार। कृपा तव अपरंपार। भक्तीगम्य ॥३॥

तव कृपा ठरे सार्थ। प्रकटला गीतेचा भावार्थ। प्रपंच आणि परमार्थ। सहज साध्य ॥४॥

मी तो अभागी अनाथ। गुरू मंत्रद्रष्टे सिद्धनाथ। दीक्षा देवोनी सनाथ। केले त्यान्नी ॥५॥

नुरले मायेचे ममत्व। चित्ती साधले समत्व। मज लाभले द्विजत्व। योग बळे ॥६॥

कधी वेदनांचा चारा। कधी भोगांचा पसारा। खेळ प्रारब्धाचा सारा। लीलामात्र ॥७॥

घेता स्वरूपाचा निदीध्यास। लोपे जगाचा आभास। चाले 'सोहम' विनायास। अखण्डत्वे ॥८॥

पिंडे पिंडासी ग्रासले। पिंडी ब्रह्मांड कोंडले। अवघे अस्तित्व जाहले। ब्रह्ममय ॥९॥

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नव ओव्यांचा नवरत्नहार। सद्गुरूस समर्पिला सादर। प्रसन्न चित्ते ते अभय-कर। ठेवती माथा॥

- मूकवाचक (मोक्षदा एकादशी - गीता जयंती - १७/१२/२०१०)

शांतरसवाङ्मय

प्रतिक्रिया

छानच! द्विजत्व शब्दाचा उपयोग खूप छान. आवडेश!

बादवे,
अनन्य भावाने शरण। येता मज लीनपण। आले अहंतेसी मरण। भक्तीयोगे ॥
तव कृपा ठरे सार्थ। प्रकटला गीतेचा भावार्थ। प्रपंच आणि परमार्थ। सहज साध्य ॥
नुरले मायेचे ममत्व। चित्ती साधले समत्व। मज लाभले द्विजत्व। योग बळे ॥
कधी वेदनांचा चारा। कधी भोगांचा पसारा। खेळ प्रारब्धाचा सारा। लीलामात्र ॥
घेता स्वरूपाचा निदीध्यास। लोपे जगाचा आभास। चाले 'सोहम' विनायास। अखण्डत्वे ॥
पिंडे पिंडासी ग्रासले। पिंडी ब्रह्मांड कोंडले। अवघे अस्तित्व जाहले। ब्रह्ममय ॥

या ओळी मुमुक्षुअवस्थेच्या आहेत! अत्त्युच्च साधकाच्या! ;)

राघव

अवलिया's picture

19 Dec 2010 - 10:47 am | अवलिया

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sneharani's picture

20 Dec 2010 - 4:19 pm | sneharani

मस्तच!!

परिकथेतील राजकुमार's picture

20 Dec 2010 - 4:25 pm | परिकथेतील राजकुमार

मस्त :)

नितांत सुंदर!!
अतिशय सुंदर!! याला खरंच कोणीतरी चाल लावून गाइल काय? :)