आग-ए-नफरत (एका कोल्ह्याचे मनोगत आणि संभाव्य उपक्रम)

भाऊ पाटील's picture
भाऊ पाटील in जनातलं, मनातलं
7 Oct 2010 - 3:39 pm

ढिस्क्लेमरः सर्वपित्रि आवसेनिमित्त एका कोल्ह्याने आमच्या स्वप्नात येउन त्याची व्यथा सांगितली, ती शब्दबद्ध करण्याचा हा एक प्रयत्न.

तोबा तोबा ,ये मै क्या पढ रहा कुई ?? ? वो डब्लु डब्लु एफ ने क्या सेव्ह द टायगर चिंगारी लगाया पुरा हिन्दुस्तान चिनी लोगांके पिच्छु हँडवॉश कर के भागरां मिया .. ए टु झेड चिनी पे अब नफरत की आग उगळ रहे सब मियां लोगां ! क्या इतना एनर्जी है हम मे ? तो फिर आपण आपल्या देशातल्या शिकारीयोंके प्रति इतने आक्रमक क्यो नही है उई? खैर वो तो गैर ही थे .. इधर अपने ही पिठ मे खंजर खुपस रहे है कुई...
ये टायगर का बच्चा (म्हणजे टायगरच) अगले साल मे फिर से भाव खाइंगा ... लायन बरसोंसे भाव खाता आरां कुईं ...
ये पर्यावरणी लोगां चीन का कांडी डाल्लेते और हम लोगां उनको गालि देते बैठते
कुछ कामां नही क्या हम लोगांको? क्वाँईं ?

कोल्हे का केहना मानो कुईं ... चीनियों को गाली देने मे एनर्जी फोकट नक्को घालो आणि सेव्ह द टायगर टी-शर्ट घालके उगाच कोणत्या बार मधे दारु पीत चीन को शिव्या देने के ऐवजी अपना 'सेव्ह द कोल्हा' उपक्रम राबवो कुइं . उन्को द्राक्ष खिलावो कुइ..
पटता है के नै कुई ?
कुईकुईकुईकुई
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(स्वप्न संपतानाचे कोल्ह्याचे शेवटचे वाक्यः आज शाम ६ बजे कुत्ते के साथ अपना अपीन्डमेंट है,अपीन्डमेंट........ईंग्लिश बोलता है मालुम?)
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विडंबनप्रतिक्रिया

प्रतिक्रिया

प्रशु's picture

7 Oct 2010 - 4:19 pm | प्रशु

मस्त.

पैसा's picture

7 Oct 2010 - 7:39 pm | पैसा

शीर्षकातलं "मनोगत" आणि "उपक्रम" लोकांच्या नजरेतून सुटलं वाटतं?

पाषाणभेद's picture

7 Oct 2010 - 10:27 pm | पाषाणभेद

उई तमाशा उई
उई तमाशा
लई झाल्या माशा
लई झाल्या माशा
उई उई उई उई