अनन्त्_यात्री in जे न देखे रवी... 24 Aug 2017 - 2:08 pm सूर्य तो अन काजवा मी, जाणुनी होतो जरी धावलो धुंदीत एका, थुंकण्या त्याच्यावरी मत्त तो गजराज, मी तर श्वान श्रीमंताघरी लागता चाहूल उठलो, भुंकण्या त्याच्यावरी भेट होता आमुची, प्रत्यक्ष दिसले मज परी माझिया हातात पत्थर, चांदण्या त्याच्या करी कविता माझीकविता प्रतिक्रिया क्या बात है... 24 Aug 2017 - 10:17 pm | सत्यजित... क्या बात है... क्या बात है... 24 Aug 2017 - 10:19 pm | धर्मराजमुटके माशाअल्लाह ! वाह वाह 24 Aug 2017 - 11:38 pm | थिटे मास्तर वाह वाह पण ह्या वसुंधरे वर श्रीराम, लंकेश्वर रावण ते आजचे छान छान नेते हे सगळे मानवच अपवाद तो एकच त्या महामानवाचा. कविता आवडली. 25 Aug 2017 - 12:07 am | एस कविता आवडली. सत्यजित, ध.मु., थि.मा., एस 28 Aug 2017 - 10:11 am | अनन्त्_यात्री आपल्या प्रतिसादा॑बद्दल धन्यवाद. कविता आवडली. 1 Sep 2017 - 8:02 am | प्राची अश्विनी कविता आवडली. प्राची अश्विनी, 1 Sep 2017 - 6:45 pm | अनन्त्_यात्री धन्यवाद. कविता आवडली.... 2 Sep 2017 - 10:52 am | ज्ञानोबाचे पैजार अतिशय सुरेख लिहिली आहे. विशेषतः भेट होता आमुची, प्रत्यक्ष दिसले मज परी माझिया हातात पत्थर, चांदण्या त्याच्या करी ह्या ओळी तर फारच आवडल्या पैजारबुवा, पैजारबुवा, 2 Sep 2017 - 4:05 pm | अनन्त्_यात्री आपल्या प्रतिसादाबद्दल मनःपूर्वक आभार. जबरदस्त !! 2 Sep 2017 - 6:40 pm | शार्दुल_हातोळकर जबरदस्त !! कमीत कमी ओळींमधे जास्तीत जास्त अर्थ दर्शविण्याची तुमची हातोटी विँलक्षण आहे. "निळावन्ती" कविता देखील अतिशय आवडली होती. शार्दुल_हातोळकर 3 Sep 2017 - 1:02 pm | अनन्त्_यात्री आपल्या प्रतिसादाबद्दल मनःपूर्वक आभार! वाह!! 4 Sep 2017 - 4:36 pm | सूड वाह!! धन्यवाद ! 6 Sep 2017 - 4:19 pm | अनन्त्_यात्री . छान! 6 Sep 2017 - 4:46 pm | अनुप ढेरे छान! छान कविता... आवडली. 6 Sep 2017 - 4:53 pm | विशुमित छान कविता... आवडली. अनुप, विशुमित 7 Sep 2017 - 11:48 am | अनन्त्_यात्री धन्यवाद!
प्रतिक्रिया
24 Aug 2017 - 10:17 pm | सत्यजित...
क्या बात है...
24 Aug 2017 - 10:19 pm | धर्मराजमुटके
माशाअल्लाह !
24 Aug 2017 - 11:38 pm | थिटे मास्तर
वाह वाह
पण ह्या वसुंधरे वर श्रीराम, लंकेश्वर रावण ते आजचे छान छान नेते हे सगळे मानवच अपवाद तो एकच त्या महामानवाचा.
25 Aug 2017 - 12:07 am | एस
कविता आवडली.
28 Aug 2017 - 10:11 am | अनन्त्_यात्री
आपल्या प्रतिसादा॑बद्दल धन्यवाद.
1 Sep 2017 - 8:02 am | प्राची अश्विनी
कविता आवडली.
1 Sep 2017 - 6:45 pm | अनन्त्_यात्री
धन्यवाद.
2 Sep 2017 - 10:52 am | ज्ञानोबाचे पैजार
अतिशय सुरेख लिहिली आहे.
विशेषतः
ह्या ओळी तर फारच आवडल्या
पैजारबुवा,
2 Sep 2017 - 4:05 pm | अनन्त्_यात्री
आपल्या प्रतिसादाबद्दल मनःपूर्वक आभार.
2 Sep 2017 - 6:40 pm | शार्दुल_हातोळकर
जबरदस्त !!
कमीत कमी ओळींमधे जास्तीत जास्त अर्थ दर्शविण्याची तुमची हातोटी विँलक्षण आहे. "निळावन्ती" कविता देखील अतिशय आवडली होती.
3 Sep 2017 - 1:02 pm | अनन्त्_यात्री
आपल्या प्रतिसादाबद्दल मनःपूर्वक आभार!
4 Sep 2017 - 4:36 pm | सूड
वाह!!
6 Sep 2017 - 4:19 pm | अनन्त्_यात्री
.
6 Sep 2017 - 4:46 pm | अनुप ढेरे
छान!
6 Sep 2017 - 4:53 pm | विशुमित
छान कविता...
आवडली.
7 Sep 2017 - 11:48 am | अनन्त्_यात्री
धन्यवाद!