रक्षा बंधन के दिन गलतीसे घरके बाहर न निकलना
लडकिया भैया भैया कहेके काही राखी न बांध दे
फिर खफा होके खुदासे ये मत कहेना
ए मालिक... प्लिज बता तेरी रज़ा क्या है...
दो बाण और.... 16 Feb 2016 - 4:36 pm | ज्ञानोबाचे पैजार
वो हमे मेहेबुब भले ही ना समझे हम तो उनके आशिक है
अरे वो क्या, उनके बच्चे भी हमे मामा कहेके बुलाते है
एक जमाना ऐसा था की वो आगे और हम उनके पिछे भागते थे
उस जमाने मे हमारे हाथ मे गुलाब के बहोत सारे फुल हुवा करते थे
अब जमाना ऐसा है की हम आगे और वो हमारे पिछे भागते है
फर्क इतना ही हुवा है की उनके हाथ मे गुलाब की जगह बेलन रहेता है
मै दुकानदार को बोला एक फेविकॉल देना उनका फोटो सीने पे चीपकाने के लिये
दुकानदार बोला बडा लेना उसके साथ एका रिमुव्हर फ्री मे मिलता है
पहेले वाली का फोटो सीने से हटाने के लिये
प्रतिक्रिया
16 Feb 2016 - 3:54 pm | ज्ञानोबाचे पैजार
रक्षा बंधन के दिन गलतीसे घरके बाहर न निकलना
लडकिया भैया भैया कहेके काही राखी न बांध दे
फिर खफा होके खुदासे ये मत कहेना
ए मालिक... प्लिज बता तेरी रज़ा क्या है...
पैजारबुवा
16 Feb 2016 - 4:31 pm | प्राची अश्विनी
=))=))
16 Feb 2016 - 4:36 pm | ज्ञानोबाचे पैजार
वो हमे मेहेबुब भले ही ना समझे हम तो उनके आशिक है
अरे वो क्या, उनके बच्चे भी हमे मामा कहेके बुलाते है
एक जमाना ऐसा था की वो आगे और हम उनके पिछे भागते थे
उस जमाने मे हमारे हाथ मे गुलाब के बहोत सारे फुल हुवा करते थे
अब जमाना ऐसा है की हम आगे और वो हमारे पिछे भागते है
फर्क इतना ही हुवा है की उनके हाथ मे गुलाब की जगह बेलन रहेता है
पैजारबुवा
16 Feb 2016 - 4:38 pm | प्राची अश्विनी
पैजारबुवा, इर्षाद!=))
16 Feb 2016 - 4:44 pm | पैसा
लगे रहो पैजारबुवा!
16 Feb 2016 - 4:47 pm | प्राची अश्विनी
वो मेरेकु बोल्या इद के दिन बाहर मत निकलना ,लोग रोजा तोड देन्गे
वो मेरेकु बोल्या इद के दिन बाहर मत निकलना ,लोग रोजा तोड देन्गे
मै उसकु बोल्या, खालीपिली डरता कायकु, हम फेविकॉल से वापिस जोड देन्गे
16 Feb 2016 - 5:13 pm | ज्ञानोबाचे पैजार
मै दुकानदार को बोला एक फेविकॉल देना उनका फोटो सीने पे चीपकाने के लिये
दुकानदार बोला बडा लेना उसके साथ एका रिमुव्हर फ्री मे मिलता है
पहेले वाली का फोटो सीने से हटाने के लिये
Change is only permanent
पैजारबुवा,
16 Feb 2016 - 5:35 pm | पैसा
सीने में जलन आँख में तूफान सा क्यूं है
दवाखाने जाके आओ, ये तो अॅसिडिटी है
16 Feb 2016 - 5:58 pm | प्राची अश्विनी
एक तुफानी लेहर को पै तुम अॅसिडिटी समझ बैठे
ओर वो लोग है , जो इसी लेहर की ग्रॅव्हिटी मे उलझ बैठे
16 Feb 2016 - 6:10 pm | पैसा
हर लेहर की अपनी एक कहानी है
आयी लेहर तो कहर कर दो, बहुत आसानी है
17 Feb 2016 - 12:38 am | एक एकटा एकटाच
एकदम
दणदणीत शायरया आहेत
16 Feb 2016 - 6:08 pm | चांदणे संदीप
हे आवडल्या गेले आहे...एवढे बोलून मी....
Sandy
16 Feb 2016 - 5:42 pm | होबासराव
:०))
17 Feb 2016 - 12:22 am | एकप्रवासी
हुस्न कि क्या तारीफ करू आपकी
ये अल्फाज भी हार गये
जबसे देखा था इस चांद को हमने
उस चांद को देखना भूल गये
17 Feb 2016 - 12:49 am | विजुभाऊ
युं शायरी को ऐसे मत फेको
हळु हळू अपने गळे से उसको ओको.
17 Feb 2016 - 12:52 am | अभ्या..
अरारारारा , विजूबौ. लैच हो.
पैले थोडा खोको बादमे ओको
17 Feb 2016 - 2:32 am | आदूबाळ
आज कल पाव जमीं पर नहीं पडते मेरे
हम ने बडा वाला ट्रे जो लिया हय
17 Feb 2016 - 10:29 am | चांदणे संदीप
मस्तच!