माम्लेदारचा पन्खा in जे न देखे रवी... 13 Sep 2015 - 3:59 pm जुनाच पण सदाबहार खेळ !! इच्छुकांनी सहभागी व्हावे...... मेरे मेहबूब कयामत होगी.... आज रुसवा तेरी गलियोमे मोहब्बत होगी... मे री न ज रे तो गि ला क र ती है.... तेरे दिल को भी सनम तुझसे शिकायत होगी.... पुढचे अक्षर "ग".... फ्री स्टाइलमौजमजा प्रतिक्रिया ना बोले तुम न मैने कुछ कहा 21 Sep 2015 - 4:11 pm | नया है वह ना बोले तुम न मैने कुछ कहा मगर न जाने ऐसा क्यों लगा लगन (अनंतवेळा म्हणून झाल्यावर 21 Sep 2015 - 4:47 pm | प्यारे१ लगन (अनंतवेळा म्हणून झाल्यावर) लग गई है, कैसी लगन लगी ग गोरी तेरी आखें कहे(लकी अली) 21 Sep 2015 - 4:59 pm | नया है वह गोरी तेरी आखें कहे रात भर सोयी नही चदां देखे चुपके कही और तारे जानते है सभी भुला नही देना जी 21 Sep 2015 - 7:22 pm | दुर्गविहारी भुला नही देना जी भुला नही देना जमाना खराब हॅ जमाना खराब हॅ सावनकि घटा १९६६ ओपी नय्यर 21 Sep 2015 - 9:37 pm | दिवाकर कुलकर्णी होले होले चलो मेरे साजना हम भी पिछे है तुम्हारे, जरा होले होले चलो मेरे साजना------ हा ४५६ वा प्रतिसाद म्हणजे.. 23 Sep 2015 - 6:00 pm | द-बाहुबली हा ४५६ वा प्रतिसाद म्हणजे.. समद्या मिपाकरांना मिळुन ४५६ युनीक गाणीही अजुन जमली नाहीतनाहीत... छ्या... अंताक्षरी पुढे चालू........... 27 Apr 2016 - 11:14 pm | अनिरुद्ध प्रभू ना कजरे की धार, ना मोतियों के हार ना कोई किया सिंगार, फिर भी कितनी सुंदर हो मन में प्यार भरा, और तन में प्यार भरा जीवन में प्यार भरा, तुम तो मेरे प्रियवर हो ह घ्या..... (अंताक्षरी प्रेमी) अनिरुद्ध first previous 1 2 3 4 5 6
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21 Sep 2015 - 4:11 pm | नया है वह
ना बोले तुम न मैने कुछ कहा
मगर न जाने ऐसा क्यों लगा
21 Sep 2015 - 4:47 pm | प्यारे१
लगन (अनंतवेळा म्हणून झाल्यावर) लग गई है, कैसी लगन लगी
ग
21 Sep 2015 - 4:59 pm | नया है वह
गोरी तेरी आखें कहे
रात भर सोयी नही
चदां देखे चुपके कही
और तारे जानते है सभी
21 Sep 2015 - 7:22 pm | दुर्गविहारी
भुला नही देना जी भुला नही देना
जमाना खराब हॅ जमाना खराब हॅ
21 Sep 2015 - 9:37 pm | दिवाकर कुलकर्णी
होले होले चलो मेरे साजना
हम भी पिछे है तुम्हारे, जरा होले होले चलो मेरे साजना------
23 Sep 2015 - 6:00 pm | द-बाहुबली
हा ४५६ वा प्रतिसाद म्हणजे.. समद्या मिपाकरांना मिळुन ४५६ युनीक गाणीही अजुन जमली नाहीतनाहीत... छ्या...
27 Apr 2016 - 11:14 pm | अनिरुद्ध प्रभू
ना कजरे की धार, ना मोतियों के हार
ना कोई किया सिंगार, फिर भी कितनी सुंदर हो
मन में प्यार भरा, और तन में प्यार भरा
जीवन में प्यार भरा, तुम तो मेरे प्रियवर हो
ह घ्या.....
(अंताक्षरी प्रेमी)
अनिरुद्ध