विठ्या भकास नजरेने आभाळाकड पहात बसला होता.
सकाळी आभाळात दिसणारी ढगाची गर्दी, दुपारी जोरदार कुंभारी वार्या सोबत गायब व्हायची.
शेजारी बसलेल्या तात्याकड पहात बोलला,"तात्या,अंऊदा बी काय खर दिसत नाय.संमदी नक्षत्र लागोपाठ कोरडी जाऊ लागल.
जगायच कस माणसान.धुळपेरणी बि वाया गेली.पुना पेरणी करायची वेळ आली बग.काय डोस्क काम करना बग"
कोरड्या भुईवर काडीन रेघा मारत बसलेला तात्या थरथरता हात डोळ्यावर धरत आभाळाकड पाहु लागला.
अभाळात ढगाची गर्दी जमा होती,दुर कुठतरी विज पडल्याचा कडकडाट झाला.
त्याच्या थरथरत्या हातावर आभाळातुन तुटणारी थेंब पडु लागली.
तात्या हरकुन म्हणाला,"आरं पोरा,हे नक्षत्राच देणं हाय त्याच्या मर्जीनच बरसणार."
(समाप्त)
प्रतिक्रिया
9 Aug 2015 - 10:24 am | पैसा
+१
मस्स्स्त!
9 Aug 2015 - 10:28 am | जडभरत
+१.
शेवट खूप मस्त अगदी व्हिज्युअल की काय ते झालाय. पण पहिल्या भागाचा दुवा दिलात तर बरे कारण कथा पुन्हा कंटिन्यू वाचता येईल. पहिला भाग कदाचित विसरला ही जातो. हा नियम सर्वांनीच पाळला तर बरे.
9 Aug 2015 - 1:18 pm | जेपी
मालक पुडच्या भागात दुवा दिला जाईल.कारण हाच पहिला भाग आहे.
9 Aug 2015 - 1:22 pm | जडभरत
खाली समाप्त दिलंय म्हणून वाटलं पहिला भाग आला असेल.
9 Aug 2015 - 1:28 pm | जेपी
स्पर्धेच्या नियमाप्रमाणे कथा संपली पाहिजे.मी संपवली.
पुढच्या भागात शिर्षक आणी पात्र सोडली तर संपुर्ण संकल्पना नव्याने मांडली गेली पाहिजे.
9 Aug 2015 - 1:25 pm | अत्रुप्त आत्मा
:-D .. :-D .. :-D
+१ .. +१ .. +१
9 Aug 2015 - 10:46 am | मुक्त विहारि
+१
9 Aug 2015 - 10:49 am | तीरूपुत्र
+१
9 Aug 2015 - 10:59 am | कॅप्टन जॅक स्पॅरो
+१
नक्षत्राची मर्जी. ह्म्म्म. काही मदत लागली तर कळव बॉ!!
9 Aug 2015 - 1:13 pm | पद्मावति
+१
9 Aug 2015 - 1:28 pm | तुमचा अभिषेक
+१
9 Aug 2015 - 1:29 pm | प्यारे१
+११११
9 Aug 2015 - 1:41 pm | दिपक.कुवेत
आवडली
9 Aug 2015 - 1:45 pm | मधुरा देशपांडे
+१
9 Aug 2015 - 1:45 pm | एक एकटा एकटाच
+१
9 Aug 2015 - 1:46 pm | नाव आडनाव
+१
9 Aug 2015 - 2:17 pm | माम्लेदारचा पन्खा
दाहक वास्तव !
9 Aug 2015 - 2:32 pm | पुणेकर भामटा
सुन्दर
9 Aug 2015 - 3:00 pm | उगा काहितरीच
+१
9 Aug 2015 - 3:02 pm | कपिलमुनी
+1
10 Aug 2015 - 8:46 am | अजया
+१
10 Aug 2015 - 8:55 am | प्रचेतस
+१
सुरेख
10 Aug 2015 - 9:24 am | समीरसूर
+1
10 Aug 2015 - 9:26 am | टुंड्रा
+१
10 Aug 2015 - 11:01 am | नूतन सावंत
+१
10 Aug 2015 - 11:05 am | बबन ताम्बे
+१
10 Aug 2015 - 11:05 am | ब़जरबट्टू
मस्तच..
विदर्भी कास्तकार.. बजरू
10 Aug 2015 - 11:08 am | नितिन५८८
+१
10 Aug 2015 - 11:09 am | अविनाश पांढरकर
+१
10 Aug 2015 - 11:11 am | असा मी असामी
+१
10 Aug 2015 - 3:13 pm | gogglya
+११
10 Aug 2015 - 4:03 pm | मी-सौरभ
..
10 Aug 2015 - 4:49 pm | नाखु
सार्थ आणि यथार्थ
दुबार पेरणी पाहण्यास उत्सुक !
पांपे नाखु
10 Aug 2015 - 7:23 pm | शलभ
+१
10 Aug 2015 - 7:35 pm | विवेकपटाईत
+१मस्त
10 Aug 2015 - 7:54 pm | राघवेंद्र
+१ मस्तच
10 Aug 2015 - 7:59 pm | अभ्या..
जेप्या +१ देतोय बग.
माझ्या कथेला दे नायतर, औसारोड पकडून तिथे येऊन वसूल करीन.
11 Aug 2015 - 9:55 am | जेपी
देत नाय जा.....!!!!!!!१
10 Aug 2015 - 10:15 pm | नीलमोहर
बाकी सर्व 'देणी' ही खफवर पाहिली
:)
10 Aug 2015 - 10:36 pm | सुहास झेले
+१
11 Aug 2015 - 4:21 am | अन्या दातार
+१
11 Aug 2015 - 5:16 am | स्पंदना
बरसला?
भारीच मग!
11 Aug 2015 - 4:03 pm | जेपी
बरसला?>>>
आमी असच बोलतो.
आता नक्षत्रात पाऊस पडला अस सहसा बोलत नाहीत.
11 Aug 2015 - 7:13 pm | अनिरुद्ध.वैद्य
+१
11 Aug 2015 - 8:13 pm | किसन शिंदे
+१
15 Aug 2015 - 5:11 pm | जेपी
+1
15 Aug 2015 - 5:24 pm | किसन शिंदे
जेपी, लेखक स्वतःच्या कथेला मत देऊ शकत नाही.
15 Aug 2015 - 6:41 pm | जेपी
म्हैत आहे किसन देवा,
पर कधी नव्हे ते पन्नाशी जवळ आलोय,तेवढीच हाफशेंच्युरी साजरी करावी याची क्षीण खटपट.
15 Aug 2015 - 6:48 pm | अंजली पाटील
+१
15 Aug 2015 - 10:09 pm | जयनीत
+1