चुकलामाकला in जे न देखे रवी... 1 Dec 2014 - 10:17 am "कोण तू ? " या तुझ्या टोकदार प्रश्नानं तुझ्या माझ्या क्षणाचं मी मोठ्या कष्टाने बान्धलेलं गाठोडं टचकन फाटून गेलं, आणि मला कफल्लक बनवण्यात तू पुन्हा एकदा यशस्वी झालीस .. अभिनंदन!!! कविता प्रतिक्रिया (No subject) 1 Dec 2014 - 10:23 am | टवाळ कार्टा :( (No subject) 1 Dec 2014 - 12:09 pm | चुकलामाकला :) थोडक्यात बरच!! 1 Dec 2014 - 10:24 am | स्पंदना थोडक्यात बरच!! धन्यवाद . 1 Dec 2014 - 12:08 pm | चुकलामाकला धन्यवाद . मस्त जमलंय !! 1 Dec 2014 - 10:25 am | खटपट्या मस्त जमलंय !! धन्यवाद . 1 Dec 2014 - 11:54 am | चुकलामाकला धन्यवाद . किमान शब्दात कमाल! 1 Dec 2014 - 10:25 am | अजया किमान शब्दात कमाल! खफचं मटेरीयल चुकून 1 Dec 2014 - 10:36 am | संजय क्षीरसागर बोर्डावर टाकलंय का? सुरेख कविता आहे. 1 Dec 2014 - 10:47 am | स्पंदना सुरेख कविता आहे. उगा खफ म्हणुन टर उडवु नये. दुसरेही लिहु शकतात याची जाण ठेवावी. टका विडंबन वेगळ टाका. यास्सार 1 Dec 2014 - 10:52 am | टवाळ कार्टा यास्सार धन्यवाद . 1 Dec 2014 - 11:53 am | चुकलामाकला धन्यवाद . अपर्णाशी सहमत.चांगली कविता 1 Dec 2014 - 10:57 am | अजया अपर्णाशी सहमत.चांगली कविता आहे आणि प्रथमच स्वरचित काव्य दिलेलं दिसतंय मिपावर.लगेच टवाळक्या सुरु करण्याची गरज नाही. धन्यवाद . 1 Dec 2014 - 11:53 am | चुकलामाकला धन्यवाद . मुक्तक आवडलं. 1 Dec 2014 - 12:32 pm | सतिश गावडे मुक्तक आवडलं. दमदार! 1 Dec 2014 - 12:46 pm | मिसळलेला काव्यप्रेमी दमदार! छान लिहिलंय 1 Dec 2014 - 2:35 pm | पैसा छान लिहिलंय! आवडल 1 Dec 2014 - 4:57 pm | पिंपातला उंदीर आवडल कमीत कमी शब्द वापरुन सूंदर लिहील 1 Dec 2014 - 5:10 pm | मारवा कमीत कमी शब्दांचा वापर करुन छान लिहीलय आवडल. खुपच छान 1 Dec 2014 - 5:23 pm | कविता१९७८ खुपच छान आणि अर्थपुर्ण कविता. "कोण तू " 1 Dec 2014 - 5:53 pm | प्रसाद गोडबोले खरंच असं काही झालंय का ? तसं असेल तर तुमच्या भावना मी समजु शकतो ;) खरे नसेल तरीही कविता उत्तम !! बाकी आम्हाला कोणीही विचारले "कोण तु " तर आमचे ठरलेले उत्तर असते the name's bond ... james bond james bond :D काय हे भाऊ, 1 Dec 2014 - 8:05 pm | चुकलामाकला काय हे भाऊ, माझी साधीशी कविता तुमचा अर्थाचा गोंधळ;) ह्या शेराची आठवण 1 Dec 2014 - 7:22 pm | तिमा 'जिक्र मेरा सुना तो फिर ये कहा किस दिवानेकी बात करते हो|' तिमा संकोचाने बोललो नव्हतो मला पण एक शेर आठवला होता 1 Dec 2014 - 7:42 pm | मारवा आता बोलुन टाकतो हर एक बात पे कहते हो के तु क्या है ? तुम्ही बताओ के ये अंदाज-ए-गुफ्तगु क्या है बहोत खूब मारवा साहेब 2 Dec 2014 - 10:33 am | तिमा मी लिहिलेल्या शेरातली पहिली ओळ दुरुस्त करतो. जिक्र मेरा सुना तो चिढके कहा किस दिवानेकी बात करते हो| ग़ालिब आणखी म्हणतो 8 Dec 2014 - 7:15 pm | भीडस्त पूछते है वो की ग़ालिब कौन है कोई बतलाओ के हम बतलाये क्या अभिनंदन 1 Dec 2014 - 8:36 pm | स्वप्नज 'अभिनंदन'... चांगलं हाणलंय... यिव द्याल आजून... मस्त लिहलीय छान 1 Dec 2014 - 9:11 pm | प्रा.डॉ.दिलीप बिरुटे लिहित राहा. मस्त 2 Dec 2014 - 3:14 am | मुक्त विहारि झक्कास मस्त 2 Dec 2014 - 10:27 am | पाषाणभेद मस्त 'हाबिणंडण' असं म्हणायचं असतंय 2 Dec 2014 - 1:40 pm | प्यारे१ 'हाबिणंडण' असं म्हणायचं असतंय. 'शिरा पडो' पण चालतंय. :) खरें हों !रत्नांग्रीच्या 3 Dec 2014 - 7:42 am | चुकलामाकला खरें हों !रत्नांग्रीच्या मधल्या आळीतले शब्द !:) धन्यवाद सर्वांनाच ! 3 Dec 2014 - 7:43 am | चुकलामाकला धन्यवाद सर्वांनाच ! चांगलंय.. 6 Dec 2014 - 4:36 pm | तुषार काळभोर चांगलंय..
प्रतिक्रिया
1 Dec 2014 - 10:23 am | टवाळ कार्टा
:(
1 Dec 2014 - 12:09 pm | चुकलामाकला
:)
1 Dec 2014 - 10:24 am | स्पंदना
थोडक्यात बरच!!
1 Dec 2014 - 12:08 pm | चुकलामाकला
धन्यवाद .
1 Dec 2014 - 10:25 am | खटपट्या
मस्त जमलंय !!
1 Dec 2014 - 11:54 am | चुकलामाकला
धन्यवाद .
1 Dec 2014 - 10:25 am | अजया
किमान शब्दात कमाल!
1 Dec 2014 - 10:36 am | संजय क्षीरसागर
बोर्डावर टाकलंय का?
1 Dec 2014 - 10:47 am | स्पंदना
सुरेख कविता आहे.
उगा खफ म्हणुन टर उडवु नये. दुसरेही लिहु शकतात याची जाण ठेवावी.
टका विडंबन वेगळ टाका.
1 Dec 2014 - 10:52 am | टवाळ कार्टा
यास्सार
1 Dec 2014 - 11:53 am | चुकलामाकला
धन्यवाद .
1 Dec 2014 - 10:57 am | अजया
अपर्णाशी सहमत.चांगली कविता आहे आणि प्रथमच स्वरचित काव्य दिलेलं दिसतंय मिपावर.लगेच टवाळक्या सुरु करण्याची गरज नाही.
1 Dec 2014 - 11:53 am | चुकलामाकला
धन्यवाद .
1 Dec 2014 - 12:32 pm | सतिश गावडे
मुक्तक आवडलं.
1 Dec 2014 - 12:46 pm | मिसळलेला काव्यप्रेमी
दमदार!
1 Dec 2014 - 2:35 pm | पैसा
छान लिहिलंय!
1 Dec 2014 - 4:57 pm | पिंपातला उंदीर
आवडल
1 Dec 2014 - 5:10 pm | मारवा
कमीत कमी शब्दांचा वापर करुन छान लिहीलय
आवडल.
1 Dec 2014 - 5:23 pm | कविता१९७८
खुपच छान आणि अर्थपुर्ण कविता.
1 Dec 2014 - 5:53 pm | प्रसाद गोडबोले
खरंच असं काही झालंय का ? तसं असेल तर तुमच्या भावना मी समजु शकतो ;)
खरे नसेल तरीही कविता उत्तम !!
बाकी आम्हाला कोणीही विचारले "कोण तु " तर आमचे ठरलेले उत्तर असते the name's bond ... james bond james bond :D
1 Dec 2014 - 8:05 pm | चुकलामाकला
काय हे भाऊ,
माझी साधीशी कविता
तुमचा अर्थाचा गोंधळ;)
1 Dec 2014 - 7:22 pm | तिमा
'जिक्र मेरा सुना तो फिर ये कहा
किस दिवानेकी बात करते हो|'
1 Dec 2014 - 7:42 pm | मारवा
आता बोलुन टाकतो
हर एक बात पे कहते हो के तु क्या है ?
तुम्ही बताओ के ये अंदाज-ए-गुफ्तगु क्या है
2 Dec 2014 - 10:33 am | तिमा
मी लिहिलेल्या शेरातली पहिली ओळ दुरुस्त करतो.
जिक्र मेरा सुना
तो चिढके कहा
किस दिवानेकी बात करते हो|
8 Dec 2014 - 7:15 pm | भीडस्त
पूछते है वो की ग़ालिब कौन है
कोई बतलाओ के हम बतलाये क्या
1 Dec 2014 - 8:36 pm | स्वप्नज
'अभिनंदन'...
चांगलं हाणलंय... यिव द्याल आजून...
मस्त लिहलीय
1 Dec 2014 - 9:11 pm | प्रा.डॉ.दिलीप बिरुटे
लिहित राहा.
2 Dec 2014 - 3:14 am | मुक्त विहारि
झक्कास
2 Dec 2014 - 10:27 am | पाषाणभेद
मस्त
2 Dec 2014 - 1:40 pm | प्यारे१
'हाबिणंडण' असं म्हणायचं असतंय.
'शिरा पडो' पण चालतंय. :)
3 Dec 2014 - 7:42 am | चुकलामाकला
खरें हों !रत्नांग्रीच्या मधल्या आळीतले शब्द !:)
3 Dec 2014 - 7:43 am | चुकलामाकला
धन्यवाद सर्वांनाच !
6 Dec 2014 - 4:36 pm | तुषार काळभोर
चांगलंय..