| जय जय रघुवीर समर्थ |
समर्थांसी मनोभावे प्रार्थुनी, मिपाकरांची काही येक लक्षणे डोळियांस दिसली ती श्रोतींयांस विनयपूर्वक
सादर .
|| श्रीमिसळपाव ||
| मिपाकरलक्षणनाम समास प्रथम |
ओम नमोजी संस्थळचालका | नीलकांता मिपामालका |
कृपादृष्टीं सदस्यलोका | अवलोकिजे |१|
तुज नमू रेवतीतै | अक्षयकान्ते आणि पैसातै |
धागीं ठेवी कृपाहस्ते | लेखकुंच्या |२|
वंदुनिया सल्लागारचरण | करूनिया संपादकस्मरण |
परिक्षणार्थ मिपकरलक्षण | बोलिजेल |३|
येक वोरीजिनल एक डूआयडी | उभयलक्षणे सरळ-कानडी |
येकयेका घालुन सांगडी | शब्द मांडिले |४|
डूआयडीचे लक्षण | पुढिले समासी वर्णन |
सावधपणे वाचकजन | परिसोत पुढे |५|
आता प्रस्तुत वोरीजिनल | लक्षणे ती तुंदिल |
परी काही येक अचळ | होऊन ऐका | ६|
जे मिपाकर जन | जयांस जगीं सर्व ज्ञान |
जे केवळ आश्रयस्थान | मऱ्हाटीचे |७|
संस्थळी सत्वर संचारी | स्वामी-संपादकीं स्तुती करी |
कंपू जमवितो अंतुरी | तो येक मिपाकर |८|
सांडून सर्वही ज्येष्ठ | नव-आयडीस मानी श्रेष्ठ |
सांगे दुज्या संस्थळीची गोष्ट | तो येक मिपाकर |९|
समस्त धागे प्रेमें धरी | सदस्यहृदयी वास करी |
वक्रोक्तीविण प्रतिसाद करी | तो येक मिपाकर |१०|
संपादकांवरी अहंता | अंतरी धरी आढ्यता |
अकलेविण दावी विद्वत्ता | तो येक मिपाकर |११|
आपुलेच धागे प्रतिसादवी | दुजांचे बाजार उठवी |
पॉपकॉर्नचे ढीग दावी | तो येक मिपाकर |१२|
विनाकारण वाद करी | प्रतिसादांचे पुच्छ धरी |
बहुतांसी टीका करी | तो येक मिपाकर |१३|
कंपू धरुनिया हाती | नवागतांस पाडी भ्रांती |
धाग्यांच्या वळतो वाती | तो येक मिपाकर |१४|
बहु विचक्षण इये जन | तयांमध्ये दावी शहाणपण |
परसंस्थळीचे उच्छिष्ट सेवन | करी तो येक मिपाकर |१५|
मान अथवा अपमान | लागे ज्यास समान |
संपादनाचे ना अनमान | तो येक मिपाकर |१६|
धरून प्रतिसादांची आस | धागे पाडी भसाभस |
‘शतकीं’ धरी मनी आस | तो येक मिपाकर |१७|
क्रमश :
प्रतिक्रिया
23 Dec 2013 - 4:55 pm | सुहास..
हा हा हा !!
लय भारी
काव्यपाड़किता ;)
23 Dec 2013 - 4:57 pm | मृत्युन्जय
शतकीं’ धरी मनी आस | तो येक मिपाकर
खतरनाक. पण आता शतकी नसता त्रिशतकी आस असते. किमान आम्हाला तरी ;)
23 Dec 2013 - 5:00 pm | आतिवास
वा! जमली आहे लक्षणांची अभिव्यक्ती.. अजून काही राहिली आहेत का, ते कळेलच पुढच्या भागांत :-)
23 Dec 2013 - 5:01 pm | ज्ञानोबाचे पैजार
कोडईकनाल बरोबर भुछत्री राहिल की.
क्रमशः वाचुन बरे वाटले.
होउ दे खर्च येउ दे अजुन.
23 Dec 2013 - 5:05 pm | यशोधरा
झक्कास लिहिलं आहेस! :)
23 Dec 2013 - 5:07 pm | ज्ञानोबाचे पैजार
समस्त धागे प्रेमें धरी | सदस्यहृदयी वास करी |
वक्रोक्तीविण प्रतिसाद करी | तो येक मिपाकर |१०|
असा मिपाकर आमच्या तरी पहाण्यात नाही.
बाकी सर्व लक्षणांशी सहमत.
23 Dec 2013 - 5:27 pm | सूड
>>समस्त धागे प्रेमें धरी | सदस्यहृदयी वास करी |
वक्रोक्तीविण प्रतिसाद करी | तो येक मिपाकर |१०|
नक्की? आमच्या पाहण्यात एक सदस्य कम संपादक आहेत असे अजातशत्रू.
24 Dec 2013 - 9:20 am | ज्ञानोबाचे पैजार
Exception that proves the rule.
23 Dec 2013 - 5:07 pm | यसवायजी
दंडवत _/\_
23 Dec 2013 - 5:15 pm | मुक्त विहारि
हहपु
23 Dec 2013 - 5:16 pm | अमोल मेंढे
_/\_
23 Dec 2013 - 5:21 pm | जेपी
कंपुचे लक्षण आवडले .
23 Dec 2013 - 5:30 pm | सूड
आवडलं!! ओवीची गेयता शेवटपर्यंत टिकवून ठेवल्याबद्दल अभिनंदन. *clapping*
23 Dec 2013 - 5:33 pm | मनीषा
जय जय स्नेहांकिता तै समर्थ !!
:)
23 Dec 2013 - 5:36 pm | प्यारे१
>>>क्रमश :
हे आवडलं. ;)
23 Dec 2013 - 6:03 pm | भावना कल्लोळ
नमस्कार तुज माउली l धाडिते एक मिपाकरी l
झालीसे इम्प्रेसी l ओवी काव्य ते वाचुनीll
23 Dec 2013 - 6:04 pm | पैसा
अगागागागा! साष्टांग नमस्कार! ते शेवटचं "क्रमशः" बघून जीव भांड्यात पडला! (कसल्या ते विचारू नये! =)))
23 Dec 2013 - 6:06 pm | बॅटमॅन
टाकली काडी??
कुठे ते विचारू नये =)) :yahoo:
23 Dec 2013 - 6:09 pm | पैसा
मिपाकर असल्याचं सिद्ध करायला नको? ;)
23 Dec 2013 - 6:14 pm | बॅटमॅन
अगदी अगदी!!
पक्ष(काडीसारू), साध्य(काड्या टाकणे), अन सिद्धता!!!! (उद्गारचिन्हे हीही एक काडीच, नै =)) )
25 Dec 2013 - 11:45 am | पैसा
अगदी, टोकाला असलेल्या त्या "गुल" सकट!
23 Dec 2013 - 6:26 pm | अनन्न्या
बय्राच दिवसांनी आलाय धागा स्नेहांकिता!
23 Dec 2013 - 6:54 pm | अभ्या..
ब्येस्ट ब्येस्ट स्नेहातै.
लै दिवसानी सवड मिळालीय?
का हा धागा म्हणजे इतक्या दिवसाच्या निरिक्षणाचा परिपाक आहे? ;)
23 Dec 2013 - 7:05 pm | युगंधर
:):)
23 Dec 2013 - 7:28 pm | मितान
खतरनाक !!!! :)
अजून येऊदे..
23 Dec 2013 - 8:02 pm | मूकवाचक
:)
23 Dec 2013 - 8:09 pm | चित्रगुप्त
जबरदस्त.
डुआयडीलक्षणांच्या प्रतिक्षेत.
23 Dec 2013 - 8:20 pm | विकास
सॉलीड्ड!
डूआयडीचे लक्षण | पुढिले समासी वर्णन |
वाचण्यास उत्सुक!
23 Dec 2013 - 8:26 pm | किसन शिंदे
कोपरापासून नमस्कार गो ताय. अगदी व्यवस्थितपणे एक एक लक्षण शोधून, निवडून लिहीलंय. तुफान आवडल्या गेले आहे. =)) =))
23 Dec 2013 - 8:42 pm | डॉ सुहास म्हात्रे
खंग्री काव्य ! झकास !!
23 Dec 2013 - 9:31 pm | अजया
मस्त!!
23 Dec 2013 - 10:28 pm | खेडूत
आवडलं!!
भारीच... :)
23 Dec 2013 - 10:58 pm | विजुभाऊ
अरे झक्कास...
मस्त लिवलय.
आणखी एक लक्षण अॅड करा
कोणी एक लाडवलेले बाळ | इतिहास तज्ञ म्हणवे वाचुनी विकी काळ|
सांगे आपुलीच कीर्ति. तो येक मिपाकर.
उडवी भसाभस प्रतिसाद | स्वल्प ज्ञानावर टीका करणारे |
झाके ऐसी स्वमतीची झेप | तो येक मिपाकर
(अवांतर: हा प्रतिसाद हमखास उडणार...... ;) )
20 Jan 2014 - 1:31 am | आनन्दिता
खिक्क!!! =))))))
23 Dec 2013 - 11:11 pm | अमेय६३७७
जमलंय
23 Dec 2013 - 11:15 pm | बॅटमॅन
आध्यात्मिक जितके वरकरणी | लघळ भोचक अंतःकरणी |
लिडबिडत दांभिकपणी | तो येक मिपाकर ||
दिसतां वेगळे काहीही | जे न पटे स्वतःला काही |
उडवी सरसावुनि बाही | तो येक मिपाकर ||
दांभिक आणि सोयीस्कर | तर्ही वरडे समतापर |
घेई गोंजारुनी वर | तो येक मिपाकर ||
(हाही उडणार की क्कॉय ;) )
23 Dec 2013 - 11:49 pm | यसवायजी
ओ साहेब बास की आता..
24 Dec 2013 - 1:51 am | पाषाणभेद
+१ छान काव्य.
24 Dec 2013 - 2:41 pm | सूड
बळेबळे काडी सारी। येता अंगाशी मागे सरी॥
म्हणें केली हो मस्करी। तो येक मिपाकर॥
प्रतिसाद देई जणू शर्करा। चेहरा न दिसू दे खरा॥
राही सकळसदस्यासि बरा। तो येक मिपाकर॥
मोजक्या प्रश्ने उत्तरे काढी। अपुल्या सोयीची लावे खोडी॥
मजा पाहात बसे रोकडी। तो येक मिपाकर॥
24 Dec 2013 - 3:20 pm | बॅटमॅन
चार शब्दांना चारपैकी चार मार्क दिल्या गेले आहेत.
समस्त दांभिकशिरोमणी | खव-प्रतिसादी धरिता गुळणी |
वयासवे बुधीचिया ठिकाणी | कधी चुकोनी न येई ||
25 Dec 2013 - 11:10 pm | सस्नेह
मारा तो क्या मारा, शालजोडी...
24 Dec 2013 - 12:17 am | अत्रुप्त आत्मा
@विनाकारण वाद करी | प्रतिसादांचे पुच्छ धरी |
बहुतांसी टीका करी | तो येक मिपाकर |१३| >>> काय तेरावं घातलय!!!
24 Dec 2013 - 8:39 am | प्रचेतस
=))
जबरी.
पुढील समासांच्या प्रतिक्षेत.
24 Dec 2013 - 9:14 am | नाखु
ये तो ट्रेलर है पिक्चर अभी बाकी है.
याच प्रतिक्षेत..
24 Dec 2013 - 10:09 am | पैसा
निखळ गंमतीच्या धाग्यांवरी| बळंच स्कोर सेटलिंग करी|
धाग्यांना धाडी काश्मिरी| तो येक मिपाकरु||
पहिल्या २/३ नंबरावरी| घुसून उपप्रतिसाद उगीच मारी|
धागे हायजॅक करी| तो येक मिपाकरू||
आपुलेच धागे काढी वरी| इतरांस मारी फाट्यावरी|
संपादकांवरी दात धरी| तो येक मिपाकरु||
24 Dec 2013 - 1:10 pm | गणपा
आपली काव्य प्रतिभाही आवडली. ;)
25 Dec 2013 - 2:09 am | विकास
सहमत. जपून रहायला हवे! ;)
25 Dec 2013 - 11:44 am | पैसा
अजून बरीच निरीक्षणे आहेत, पण सध्या सौजन्य संवत्सर पाळत असल्यामुळे हॅ हॅ हॅ...
25 Dec 2013 - 11:12 pm | सस्नेह
सामील व्हा !
24 Dec 2013 - 10:31 am | रमेश आठवले
|| सार्थ करी रामदास उक्ती
'टवाळा आवडे विनोद'
सदा हाणी प्रतिसाद
तो ही येक मिपाकर ||
24 Dec 2013 - 10:39 am | लीलाधर
काय पण जमलय येक नंबर बघ
24 Dec 2013 - 10:52 am | अत्रुप्त आत्मा
चतुर चाणक्य नामधारी,च.चा. हे शॉर्टनेम करी
नंतर दुसय्रा नामे अवतरी,तो येक लीला धरं! =))
24 Dec 2013 - 11:03 am | प्रचेतस
येथे फक्त नंतर दुसय्रा नामे अवतरी,तो येक साय लीला धरं! अशी दुरुस्ती करू इच्छितो. =))
24 Dec 2013 - 11:17 am | अत्रुप्त आत्मा
=))
24 Dec 2013 - 11:31 am | नीलकांत
मस्त लिहीलंय.... मस्तंच :)
24 Dec 2013 - 12:44 pm | पिंगू
काव्यपंडिते.. शतशः लोटांगण.. ___/\___
मिपाबोध लिखाणासाठी पुलेशु..
24 Dec 2013 - 1:10 pm | गणपा
उत्तम निरिक्षण स्नेहांकिता.
फक्कड जमलय.
24 Dec 2013 - 2:01 pm | मदनबाण
मस्तच !
24 Dec 2013 - 3:07 pm | प्यारे१
मूळ नि पुरवण्या.... सगळी माझीच लक्षणं दिसत आहेत.
तिकडे दासबोधात मूर्ख लक्षण दशक नि इकडे मिपाकरलक्षण, तंतोतंत.
स्वगतः प्यार्या, सुधर लेका. आपल्या मित्रांचं किती लक्ष नि प्रेम आहे ते तरी बघ !
24 Dec 2013 - 3:37 pm | पैसा
काय मी मी लावलंय! दुसर्यांच्या "मी"ला जराशी तरी जागा ठेवा जरा!
25 Dec 2013 - 3:11 am | अभ्या..
मी फ़ुल्टॉस देतो तू सिक्सर हाण
असे फिक्सिंग करि ते पण मिपाकर ।। :-D
.
.
(वल्ली मला वाचव :) )
25 Dec 2013 - 3:20 am | बॅटमॅन
अगागागागागा =))
24 Dec 2013 - 3:26 pm | मितभाषी
:)
25 Dec 2013 - 6:45 am | चाणक्य
स्नेहांकिता = खुसखुशीत लिखाण :-)
येउद्यात अजून
25 Dec 2013 - 5:03 pm | कवितानागेश
हीहीही!
26 Dec 2013 - 2:14 am | रेवती
धन्य हो स्नेहंकिताताई!
26 Dec 2013 - 9:50 am | प्रा.डॉ.दिलीप बिरुटे
और भी आने दो :)
-दिलीप बिरुटे
3 Jan 2014 - 9:34 am | प्रीत-मोहर
मस्तच गो स्नेहा!! बाकी सगळ्यांच्या प्रतिभा पण उफाळु लागल्ये म्हनायची!!!
3 Jan 2014 - 10:42 am | वेल्लाभट
कसलं जमलंय तुम्हाला !!!!!!!!!
20 Jan 2015 - 3:46 am | अनन्त अवधुत
मस्तच लिहिलय
20 Jan 2015 - 5:15 am | मुक्त विहारि
हा धागा परत एकदा वरती काढल्याबद्दल....
20 Jan 2015 - 8:16 am | चुकलामाकला
झक्कास!
20 Jan 2015 - 8:34 am | कॅप्टन जॅक स्पॅरो
काव्यांकितातै!!! _/\_
=))