देवा ढळो नेदी | माझी चित्त वृत्ती |

सागरलहरी's picture
सागरलहरी in जे न देखे रवी...
5 Jul 2010 - 11:59 am

देवा ढळो नेदी | माझी चित्त वृत्ती |

सदा पाहो दिठी | रूप तुझे ||

कष्टी हा संसार | व्यथाही अपार |

तरावया पार | हात दे गा ||

कर्तव्य स्मरून | राखावे ते धन |

परी अंत: करण| तुज पाशी ||

कटू बोल घेता | स्थिर ठेवी चित्ता |

तव नाम घेता | शांत करी ||

देवा तुझे चरणी | आलो सर्व हरोनी |

मज दया करोनी | सांभाळावे ||

- सागर लहरी २५.६.२०१०

कविता

प्रतिक्रिया

पाषाणभेद's picture

5 Jul 2010 - 12:31 pm | पाषाणभेद

फारच छान अभंग आहे,
सागर लहरी महाराज की जय!
The universal symbol for diabetes
मधुमेहा विरुद्ध लढा

माझी जालवही

यशोधरा's picture

5 Jul 2010 - 12:45 pm | यशोधरा

सुरेख!

रामदास's picture

5 Jul 2010 - 2:18 pm | रामदास

छान अभंग झाला आहे.
परी अंत: करण| तुज पाशी || क्या बात है ?

सागरलहरी's picture

11 Jul 2010 - 1:07 pm | सागरलहरी

माझ्या लिखाणाला मनःपूर्वक दाद दिल्या बद्दल धन्यवाद.

नावातकायआहे's picture

11 Jul 2010 - 7:39 pm | नावातकायआहे

वा! माउली! वा!

=D>

भाग्यश्री कुलकर्णी's picture

11 Jul 2010 - 8:50 pm | भाग्यश्री कुलकर्णी

फार छान जमला आहे अभंग.