कोसळोनी यावे .. आभाळ आज वाटे
ओसंडोनी जावे अन् .. जळं साचलेले |
गुंफलेली माला जणू .. व्हावे त्या सरींनी
ओघळलेले मोती व्हावे .. थेंब पावसाचे |
चमचमत्या किरणां सवे .. इंद्रधनू रेखावे
शीळ घुमावी वार्याची .. हिरव्या, ओल्या बना मधे |
सळसळत्या पानांतूनी .. संगीत नवे जन्मावे
रंग रंगी, सुरेल कंठी .. खगांनी मग ते गावे |
रंगीत-गंधीत धात्रीने .. साज सुखाचे ल्यावे
मेघश्याम आभाळ तीला .. क्षितीजावर भेटावे |
प्रतिक्रिया
30 Jun 2009 - 9:36 pm | प्राजु
अप्रतिम!!
रंगीत-गंधीत धात्रीने .. साज सुखाचे ल्यावे
मेघश्याम आभाळ तीला .. क्षितीजावर भेटावे |
- (सर्वव्यापी)प्राजु
http://praaju.blogspot.com/
1 Jul 2009 - 12:30 am | राघव
साधी मांडणी.. साधे शब्द.. हीच खासियत! नाही ? :)
राघव
( आधीचे नाव - मुमुक्षु )
1 Jul 2009 - 7:33 am | अवलिया
वा! मस्त !!
--अवलिया
1 Jul 2009 - 8:26 am | विसोबा खेचर
वा! साधी, सुंदर कविता..!
तात्या.
1 Jul 2009 - 11:08 am | दत्ता काळे
सळसळत्या पानांतूनी .. संगीत नवे जन्मावे
रंग रंगी, सुरेल कंठी .. खगांनी मग ते गावे |
2 Jul 2009 - 7:45 am | क्रान्ति
खूप सुरेख कविता!
क्रान्ति
ध्यानम् मूलम् गुरुमूर्ति, पूजामूलम् गुरु पदम्
मंत्र मूलम् गुरुवाक्यम्, मोक्षमूलम् गुरुकृपा
अग्निसखा
2 Jul 2009 - 9:02 am | मदनबाण
सळसळत्या पानांतूनी .. संगीत नवे जन्मावे
रंग रंगी, सुरेल कंठी .. खगांनी मग ते गावे |
फारच सुरेख कविता... :)
मदनबाण.....
Success is never permanent, and failure is never final.
Mike Ditka
2 Jul 2009 - 7:43 pm | मनीषा
सर्व वाचकांचे मनःपूर्वक आभार !
2 Jul 2009 - 8:16 pm | चन्द्रशेखर गोखले
खूप खूप आवडली ! अप्रतिम...
2 Jul 2009 - 8:42 pm | सूहास (not verified)
<<गुंफलेली माला जणू .. व्हावे त्या सरींनी
ओघळलेले मोती व्हावे .. थेंब पावसाचे |>>
के व ळ अ प्र ति म...
सुहास
पावसाची वाट पहाणारा..