दिसे ची ना

बाजीगर's picture
बाजीगर in जे न देखे रवी...
2 Mar 2025 - 11:38 am

प्रसंग बाका,
वाल्या च आका,
दिवसा डाका,
दिसेचीना।।

पवन चक्की,
जेल ची चक्की,
गोष्ट पक्की,
होईचिना।।

सरपंच,
रंगमंच,
भ्रष्ट संच,
न्याय चि ना ।।

दागी मंत्री,
गुन्हे जंत्री,
राजीनामा,
मागेचीना।।

पळालं आंधळं,
पोलीस पांगळं,
दिसतंय सगळं
सापडेचीना ।।

कविता

प्रतिक्रिया

कानडाऊ योगेशु's picture

2 Mar 2025 - 11:54 am | कानडाऊ योगेशु

सगळे एकमेकांना सामील आहेत.फक्त तमाशाचा खेळ चाललाय जनतेला फसवायला.
बाकी..त्या सापडेचीना ऐवजी गावेचीना केले तर आधीच्या कडव्यांच्या शेवटच्या चाराक्षरी शब्दांशी सुसंगत होईल वगैरे वगैरे.

बाजीगर's picture

2 Mar 2025 - 12:37 pm | बाजीगर

परफेक्ट सर.
धन्यवाद

अमरेंद्र बाहुबली's picture

2 Mar 2025 - 12:38 pm | अमरेंद्र बाहुबली

छान

कर्नलतपस्वी's picture

2 Mar 2025 - 1:51 pm | कर्नलतपस्वी

कृष्ण बिहारी 'नूर' यांची गझल वारंवार आठवते.

धन के हाथों बिक गये है सभी
अब किसी जुर्म की सजा ही नहीं

ज़िंदगी से बड़ी सज़ा ही नहीं,
और क्या जुर्म है पता ही नहीं.....

कालाय तस्मै नम:

रामचंद्र's picture

2 Mar 2025 - 1:51 pm | रामचंद्र

किमान शब्दांत आणि नेमकं!