श्रीगणेशा in जे न देखे रवी... 13 Sep 2021 - 9:27 pm मी लिहावं, तू वाचावं. मी बोलावं, तू ऐकावं. मी भांडावं, तू रुसावं. मी हसवावं, तू हसावं. मी न बोलता जाणावं, तू डोळ्यांतून सांगावं. काळजाला स्पर्शणारं, तुझ्या वहीतलं, मी एक, पिंपळपान व्हावं... कविता प्रतिक्रिया सोपी, सरळ आणि सुरेख! 16 Sep 2021 - 9:18 am | प्राची अश्विनी सोपी, सरळ आणि सुरेख! छान आहे.. 16 Sep 2021 - 10:00 am | ज्ञानोबाचे पैजार वाचून जुन्या आठवणी जाग्या झाल्या... जोती ताईंची "ऐ .. चल न.." ही जगप्रसिध्द कविता आठवली. दु दु संपादकांनी हा धागा वामा करुन टाकला पैजारबुवा, पैजारबुवा धन्य आहात तुम्ही!! 18 Sep 2021 - 11:52 pm | पाषाणभेद पैजारबुवा धन्य आहात तुम्ही!! बाकी प्रस्तूत कविता छान आहे. धन्यवाद प्राची, पैजारबुवा /\ 17 Sep 2021 - 11:00 pm | श्रीगणेशा धन्यवाद प्राची, पैजारबुवा /\ क्या बात है... 19 Sep 2021 - 5:07 pm | गॉडजिला सुरेख. धन्यवाद गॉडजिला, पाषाणभेद /\ 22 Sep 2021 - 1:10 am | श्रीगणेशा धन्यवाद गॉडजिला, पाषाणभेद /\ वा ! 9 Oct 2021 - 12:23 pm | कुमार१ सुरेख. धन्यवाद कुमार सर /\ 11 Oct 2021 - 12:56 am | श्रीगणेशा धन्यवाद कुमार सर /\
प्रतिक्रिया
16 Sep 2021 - 9:18 am | प्राची अश्विनी
सोपी, सरळ आणि सुरेख!
16 Sep 2021 - 10:00 am | ज्ञानोबाचे पैजार
वाचून जुन्या आठवणी जाग्या झाल्या...
जोती ताईंची "ऐ .. चल न.." ही जगप्रसिध्द कविता आठवली.
दु दु संपादकांनी हा धागा वामा करुन टाकला
पैजारबुवा,
18 Sep 2021 - 11:52 pm | पाषाणभेद
पैजारबुवा धन्य आहात तुम्ही!!
बाकी प्रस्तूत कविता छान आहे.
17 Sep 2021 - 11:00 pm | श्रीगणेशा
धन्यवाद प्राची, पैजारबुवा /\
19 Sep 2021 - 5:07 pm | गॉडजिला
सुरेख.
22 Sep 2021 - 1:10 am | श्रीगणेशा
धन्यवाद गॉडजिला, पाषाणभेद /\
9 Oct 2021 - 12:23 pm | कुमार१
सुरेख.
11 Oct 2021 - 12:56 am | श्रीगणेशा
धन्यवाद कुमार सर /\