Jayagandha Bhat... in जे न देखे रवी... 30 Nov 2020 - 5:45 pm मुसाफिर... अवचित एका मुसाफिरानं, जीवनात पाऊल टाकलं.. भूतकाळाच्या क्षणांचं पान, त्यानं अलगद पुसून टाकलं.. परीस स्पर्शानं त्याच्या, मनाला मोहरुन टाकलं.. आभार कसे मानू त्या योगेश्वराचे, ज्यानं माझं आयुष्यच उजळून टाकलं....!! जयगंधा.. ३०-११-२०२०. कविता प्रतिक्रिया सुंदर 1 Dec 2020 - 11:30 pm | छोटा चेतन-२०१५ सुंदर धन्यवाद 8 Dec 2020 - 6:05 pm | Jayagandha Bhat... धन्यवाद
प्रतिक्रिया
1 Dec 2020 - 11:30 pm | छोटा चेतन-२०१५
सुंदर
8 Dec 2020 - 6:05 pm | Jayagandha Bhat...
धन्यवाद