चार थेंब

मायमराठी's picture
मायमराठी in जे न देखे रवी...
5 Aug 2019 - 5:21 pm

चार थेंबांत संपेल
मग पाऊस तो काय,

चार शब्दांत मावेल,
मग माणसाचं मन ते काय,

संपलाही असता तो,
जर
प्रत्येक थेंबाला आभाळ मिळालं असतं,

मावलेही असते ते,
जर
प्रत्येक शब्दाला आयुष्य लाभलं असतं,

पण मग उरल्या थेंबांचं आणि शब्दांचं काय ?

-अभिजीत

मुक्त कविताकविता

प्रतिक्रिया

जव्हेरगंज's picture

5 Aug 2019 - 9:51 pm | जव्हेरगंज

आवडली!!

मायमराठी's picture

5 Aug 2019 - 10:42 pm | मायमराठी

खूप धन्यवाद

जालिम लोशन's picture

6 Aug 2019 - 11:01 am | जालिम लोशन

छान

मन्या ऽ's picture

7 Aug 2019 - 12:27 am | मन्या ऽ

अप्रतिम! आवडली..

मायमराठी's picture

7 Aug 2019 - 10:07 pm | मायमराठी

खूप खूप आभार

मायमराठी's picture

7 Aug 2019 - 10:08 pm | मायमराठी

खूप खूप आभार