श्रीरंग....
सावळ्याचा शाम रंग..
भक्तिमाजी गोपी दंग..
प्रेमाचे उधळुनि रंग..
स्वानंदे भिजले अंग..
ममत्वाचा होई भंग..
अहंतेचा सुटे संग..
वैराग्याचा मनी तरंग..
उजळुन जाई अंतरंग..
जाणिवेत "मी" च गुंग..
"तो" चि "मी" श्रीरंग...
"तो" चि "मी" श्रीरंग...
जयगंधा...
६-३-२०१७.
प्रतिक्रिया
2 Apr 2021 - 11:58 pm | कपिलमुनी
अनंग
मृदंग
सप्तरंग
5 Apr 2021 - 10:13 pm | ॲबसेंट माइंडेड ...
प्रेमाचे उधळुनि रंग..
स्वानंदे भिजले अंग..
वाह.
11 Apr 2021 - 6:42 pm | Jayagandha Bhat...
धन्यवाद