सागरलहरी in जे न देखे रवी... 17 Jan 2019 - 10:03 pm तोच पाऊस जुनासा गंध हळवा नवासा भिजू भिजू पदराला मखमल स्पर्श हवासा स्पर्श रुते खोल पापण्याशी ओल पुन्हा ऊन पदराला अन एक उसासा उसासलेलं हसू मोरपंखी दिसू काळा करंद ढग डोळा ये जरासा सागरलहरी कविता प्रतिक्रिया छान! 17 Jan 2019 - 10:20 pm | अथांग आकाश छान! आवडली 18 Jan 2019 - 9:30 pm | प्रमोद देर्देकर आवडली मस्त 18 Jan 2019 - 9:33 pm | मिसळलेला काव्यप्रेमी मस्त! मन:पूर्वक आभार 20 Jan 2019 - 2:13 pm | सागरलहरी धन्यवाद
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17 Jan 2019 - 10:20 pm | अथांग आकाश
छान!
18 Jan 2019 - 9:30 pm | प्रमोद देर्देकर
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18 Jan 2019 - 9:33 pm | मिसळलेला काव्यप्रेमी
मस्त!
20 Jan 2019 - 2:13 pm | सागरलहरी
धन्यवाद