अनन्त्_यात्री in जे न देखे रवी... 16 Feb 2017 - 4:07 pm कृष्ण-विवराच्या गर्भीच्या कल्लोळा वेध का लागती दिक्काल-मुक्तीचे ? स्थूलास व्यापून सूक्ष्मात सांडता कैवल्य ओलांडी उंबरे कशाचे ? तुझ्या नि माझ्या निर्लेप नात्याला पाश हे कशाला जीवन मृत्यूचे ? कविता माझीमुक्तक प्रतिक्रिया . 16 Feb 2017 - 4:50 pm | चांदणे संदीप आवडली कविता! Sandy सुंदर!! 16 Feb 2017 - 4:52 pm | सानझरी सुंदर!! अतिशय सुंदर!! 17 Feb 2017 - 11:28 am | प्राची अश्विनी अतिशय सुंदर!! व्वाह! मस्तच! 17 Feb 2017 - 11:44 am | अत्रुप्त आत्मा व्वाह! मस्तच! मस्त !! 17 Feb 2017 - 9:57 pm | शार्दुल_हातोळकर सुंदर आशय !! अहा! 18 Feb 2017 - 9:32 am | पैसा फारच सुरेख!! सुंदर! 20 Feb 2017 - 7:59 am | दीपा माने मनाला कविता भावली! ..धन्यवाद! 22 Feb 2017 - 9:56 am | अनन्त्_यात्री स॑दीप, सानझरी, आत्मब॑ध, शार्दूल, पैसा, दीपा...धन्यवाद!
प्रतिक्रिया
16 Feb 2017 - 4:50 pm | चांदणे संदीप
आवडली कविता!
Sandy
16 Feb 2017 - 4:52 pm | सानझरी
सुंदर!!
17 Feb 2017 - 11:28 am | प्राची अश्विनी
अतिशय सुंदर!!
17 Feb 2017 - 11:44 am | अत्रुप्त आत्मा
व्वाह! मस्तच!
17 Feb 2017 - 9:57 pm | शार्दुल_हातोळकर
सुंदर आशय !!
18 Feb 2017 - 9:32 am | पैसा
फारच सुरेख!!
20 Feb 2017 - 7:59 am | दीपा माने
मनाला कविता भावली!
22 Feb 2017 - 9:56 am | अनन्त्_यात्री
स॑दीप, सानझरी, आत्मब॑ध, शार्दूल, पैसा, दीपा...धन्यवाद!