एक पावसाळी कविता

पथिक's picture
पथिक in जे न देखे रवी...
10 May 2016 - 5:46 pm

निळे घन
हिरवे रान
थरथरे पान

आर्त वारा
ओल्या दिशा
जीव पिसा

धुंद मन
धुके दाट
चुके वाट

वीज पडे
घरटे जळे
झाडासंगे

अवचित
सरी येती
भिजविती

पडो थेंब
फुटो कोंभ
अंतरात

कविता

प्रतिक्रिया

नंदू's picture

11 May 2016 - 5:14 am | नंदू

छान!

पथिक's picture

11 May 2016 - 11:54 am | पथिक

धन्यवाद!

विवेकपटाईत's picture

11 May 2016 - 6:52 pm | विवेकपटाईत

रणरणत्या उन्हातून आज लवकर घरी आलो आणि हि पावसाळी कविता वाचली. काही दिलासा मिळाला

पथिक's picture

12 May 2016 - 11:28 am | पथिक

धन्यवाद!

पथिक's picture

12 May 2016 - 9:59 am | पथिक

धन्यवाद! :)

कानडाऊ योगेशु's picture

11 May 2016 - 11:01 pm | कानडाऊ योगेशु

छान..हायकू आहेत का हे?

धन्यवाद! नाही. असंच लिहीलं जे मनात आलं ते…

खटासि खट's picture

12 May 2016 - 10:10 am | खटासि खट

कविता छान आहे.
कविता पावसावर आहे.
कविता पावसाळी नाही.

पथिक's picture

12 May 2016 - 11:27 am | पथिक

धन्यवाद! पावसाळी आणि पावसावरची यात फरक काय ?

पिशी अबोली's picture

12 May 2016 - 12:13 pm | पिशी अबोली

छान!

प्राची अश्विनी's picture

12 May 2016 - 6:52 pm | प्राची अश्विनी

सुरेख!

पथिक's picture

13 May 2016 - 1:10 pm | पथिक

धन्यवाद मंडळी !

शिव कन्या's picture

14 May 2016 - 12:36 pm | शिव कन्या

सुंदर. आवडली.

धन्यवाद. 'शिव कन्या' - सुन्दर नाव.