१. तेरे जाने का असर कुछ ऐसा हुआ मुझपे ,
के तुझे धून्डते धून्डते मैने खुदको खो दिया !
और जब खुदको धून्डने निकला, ,
तो हर जगह सिर्फ तेरा चेहरा नजर आया ! !
२. तेरी आखो में खोकर कई ख्वाब देख लीये मैने ,
तेरी सांसो में मिलकर एक जिंदगी जी ली मैने ,
अब ना तेरी आखे है ,
ना तेरी सांसे है, ,
ना कोई ख्वाब है ,,
बस्स एक जिंदगी है…. जो पिछा नही छोडती ! !
३.तेरा ना मिलना तनहाई से क्या कम था ,
के अब जीने से मै घबराऊ ?
तनहा जिंदगी नरक से क्या कम थी ,
के अब मरने से मै घबराऊ ??
प्रतिक्रिया
23 Jun 2014 - 12:35 pm | अनुप ढेरे
मजा नाही आली.
24 Jun 2014 - 9:54 am | वेल्लाभट
इतर भाषांमधील साहित्यही चालतं का मिपावर?