मिहीत रात्र रंगली
कमल पुष्पे फुलली...
अबोल प्रीत बोलली
हळूच गाली हसली...
नभी धुंद चांदणे
फुलाफुलांत हिंडले...
प्रीत आपुली पहिली
अबोल प्रीत बोलली ...
नवे रंग उमटले
अश्रु पुसून गेले...
उगवली पहाट
थांबली चंद्रकोर...
विसावली सागरी
झोपली गाढ कुशीत...
विसरली निळ्या आभाळास
अबोल प्रीत बोलली...
अबोल प्रीत बोलली...
प्रतिक्रिया
19 Aug 2013 - 7:24 am | कवितानागेश
छान.
19 Aug 2013 - 8:04 am | झंम्प्या
खरच छान...
19 Aug 2013 - 9:59 am | दत्ता काळे
छान
19 Aug 2013 - 11:09 am | अमोल केळकर
मस्त :)
अमोल केळकर
20 Aug 2013 - 10:27 pm | K Sangeeta
thanks a lot everyone:)
20 Aug 2013 - 11:44 pm | मिसळलेला काव्यप्रेमी
छान कविता
21 Aug 2013 - 4:34 am | पाषाणभेद
फारच छान
22 Aug 2013 - 11:49 am | psajid
छान आहे
23 Aug 2013 - 10:39 pm | K Sangeeta
Thanks:)
23 Aug 2013 - 10:50 pm | किसन शिंदे
फार सुंदर आहे कविता.
23 Aug 2013 - 11:35 pm | अत्रुप्त आत्मा
25 Aug 2013 - 12:39 am | K Sangeeta
Thanks a lot everyone :)
25 Aug 2013 - 2:22 am | जेनी...
मिहीत रात्र रंगली
कमल पुष्पे फुलली...
अबोल प्रीत बोलली
हळूच गाली हसली...
नभी धुंद चांदणे
फुलाफुलांत हिंडले...
प्रीत आपुली पहिली
अबोल प्रीत बोलली ...
इथपर्यंत आवडली ... पूढे मात्र यमक जाम गंडलय
10 May 2020 - 11:22 pm | Prachi J Vesikar
सुंदर कविता! मिहीत या शब्दाचा अर्थ कळू शकेल का? धन्यवाद!