संपलेला ध्यास आता
दोन उरले श्वास आता
मोडुनी त्रिज्या सुखाच्या
विश्व केले व्यास आता
स्वप्न ती देऊन गेली
सत्य भासे भास आता
जिंकुनी पैजा विजांच्या
सोसुदे मधुमास आता
ओंजळी अश्रु तुझा "ही "
फक्त उरली प्यास आता
चुंबिण्या येऊ नको तू
डंख मुरले आत आता
घेउनी संन्यास जावे
हा खरा हव्यास आता
मयुरेश साने..दि.२५-ऑक्टोबर-२०१०
प्रतिक्रिया
22 Nov 2010 - 6:01 am | राजेश घासकडवी
विशेषतः
मोडुनी त्रिज्या सुखाच्या
विश्व केले व्यास आता
22 Nov 2010 - 12:22 pm | अवलिया
सुरेख. आवडली.
22 Nov 2010 - 3:48 pm | गणेशा
एक से बढकर एक शेर ...
जबरदस्त ...
22 Nov 2010 - 8:00 pm | प्रभो
क ड क!!!
22 Nov 2010 - 8:19 pm | प्राजु
जिंकुनी पैजा विजांच्या
सोसुदे मधुमास आता
मस्तच!!
22 Nov 2010 - 8:33 pm | स्पा
मित्रा तोडलंस रे................
22 Nov 2010 - 8:51 pm | आत्मशून्य
कवीता एकदम घूसलीच काळजामधे........