गंगाधर मुटे in जे न देखे रवी... 11 Oct 2010 - 8:16 am गंधवार्ता दोर गळ्यात लटकवून बाप झुलतोय झाडावर माय निपचित पडलीय हृदय फाटता धरतीवर बाळ खिदळतंय मनीसंगे मिशा तिच्या धरता-धरता नाही जराही त्याला कसलीsssचं गंधवार्ता . . . . . गंगाधर मुटे ................................... करुणकविता प्रतिक्रिया ह्र्दय फाटतय वाचताना. 11 Oct 2010 - 8:45 am | स्पंदना ह्र्दय फाटतय वाचताना. विदारक कविता आहे. 11 Oct 2010 - 9:05 am | llपुण्याचे पेशवेll विदारक कविता आहे. मुटेसाहेबांच्या कविता खरोखरच वाचनीय असतात. असेच म्हणतो 11 Oct 2010 - 11:50 pm | बेसनलाडू (सहमत)बेसनलाडू असेच म्हणतो 12 Oct 2010 - 12:37 am | धनंजय सहमत असेच म्हणतो 12 Oct 2010 - 6:49 pm | राघव सहमत सहमत. नंदू 12 Oct 2010 - 9:24 am | नंदू सहमत. नंदू (विषय दिलेला नाही) 11 Oct 2010 - 9:43 am | शरदिनी :( थोडक्या शब्दांत मांडलेले 11 Oct 2010 - 2:07 pm | यशोधरा थोडक्या शब्दांत मांडलेले विदारक सत्य.. :( सुरेख.. 11 Oct 2010 - 11:40 pm | अथांग शब्दांची कित्ती रुपे.. टिपतात भावनांचे विविध क्षण, कधी खेळते हसु ओठांवर, अन कधी आगतिक विषण्ण मन ! -अथांग. बापरे!! 11 Oct 2010 - 11:42 pm | प्राजु बापरे!! धन्यवाद. 12 Oct 2010 - 3:32 pm | गंगाधर मुटे आभारी आहे मित्रांनो. पु पे शी सहमत 13 Oct 2010 - 11:11 pm | डॉ अशोक कुलकर्णी पु पे शी सहमत ....त्रास होतो वाचताना 13 Oct 2010 - 11:25 pm | जाई अस्सल कोल्हापुरी .. खरच! मोजक्याच शब्दात बरंच काही 5 Dec 2010 - 12:49 pm | स्वानन्द मोजक्याच शब्दात बरंच काही दाखवलंय! क्या बात है!
प्रतिक्रिया
11 Oct 2010 - 8:45 am | स्पंदना
ह्र्दय फाटतय वाचताना.
11 Oct 2010 - 9:05 am | llपुण्याचे पेशवेll
विदारक कविता आहे. मुटेसाहेबांच्या कविता खरोखरच वाचनीय असतात.
11 Oct 2010 - 11:50 pm | बेसनलाडू
(सहमत)बेसनलाडू
12 Oct 2010 - 12:37 am | धनंजय
सहमत
12 Oct 2010 - 6:49 pm | राघव
सहमत
12 Oct 2010 - 9:24 am | नंदू
सहमत.
नंदू
11 Oct 2010 - 9:43 am | शरदिनी
:(
11 Oct 2010 - 2:07 pm | यशोधरा
थोडक्या शब्दांत मांडलेले विदारक सत्य.. :(
11 Oct 2010 - 11:40 pm | अथांग
शब्दांची कित्ती रुपे..
टिपतात भावनांचे विविध क्षण,
कधी खेळते हसु ओठांवर,
अन कधी आगतिक विषण्ण मन !
-अथांग.
11 Oct 2010 - 11:42 pm | प्राजु
बापरे!!
12 Oct 2010 - 3:32 pm | गंगाधर मुटे
आभारी आहे मित्रांनो.
13 Oct 2010 - 11:11 pm | डॉ अशोक कुलकर्णी
पु पे शी सहमत
13 Oct 2010 - 11:25 pm | जाई अस्सल कोल्हापुरी
.. खरच!
5 Dec 2010 - 12:49 pm | स्वानन्द
मोजक्याच शब्दात बरंच काही दाखवलंय! क्या बात है!