पाल बोले सरडीला , जळले गं अंग,
अंग अंग होळी झाले , शेपटीचा भंग.
ओट्यावरी होते , दूध आणि पाव,
माशी खेळे लोण्यासंगे , नाचे डासराव,
झुरळाच्या मिश्यावरी , तुपाचे तवंग.
तापुनिया दूध , साय वर येई,
गिळण्या या चंद्रबिंबा , पाल झेप घेई,
जन्म तुझा पालीचा गं , नव्हे बजरंग.
सोडुनिया शेपटाला , पाल मुक्त होई,
नासकवणीसाठी , घरभर घाई ,
जळे काया कुठे , कोणी खाण्यामध्ये दंग.
प्रतिक्रिया
22 Sep 2010 - 12:04 am | पुष्करिणी
मस्तच
नासकवणी खाताना नक्की आठवण येइल :)
22 Sep 2010 - 12:05 am | मेघवेडा
आयायायाय गं! एकेक ओळ लै लै लै भारी! __/\__
22 Sep 2010 - 1:27 am | मितान
असेच म्हणते !
फारच छान !
22 Sep 2010 - 12:10 am | रेवती
आता नासकवणी माझ्या खाण्याच्या पदार्थातून बाद!
बाकी विडंबन छान!
ओट्यावरी होते , दूध आणि पाव,
माशी खेळे लोण्यासंगे , नाचे डासराव,
झुरळाच्या मिश्यावरी , तुपाचे तवंग.
हे फार आवडले.
22 Sep 2010 - 12:15 am | डावखुरा
भन्नाट ....................एकदम चुरगळुन मुरगळुन थुकलास मित्रा.......... :=))
प्रतिभाशक्तीस दाद..
22 Sep 2010 - 12:22 am | अनामिक
एकदम चुरगळुन मुरगळुन थुकलास मित्रा
हा हा हा... भन्नाट कवितेला, भन्नाट प्रतिसाद!
22 Sep 2010 - 12:53 am | सूड
सगळ्या आवडीच्या पदार्थांवरच घाला घातलंन
22 Sep 2010 - 1:42 am | बेसनलाडू
मस्त विडंबन!
(वारकरी)बेसनलाडू
22 Sep 2010 - 6:39 am | शिल्पा ब
मस्त...अव्द्ले
22 Sep 2010 - 7:41 am | सुनील
छान विरजण घातलत की मिठायांवर!
22 Sep 2010 - 9:14 am | पैसा
अडगळीतूनच हे सगळे येऊ शकते!!!
;)
भन्नाट!!
22 Sep 2010 - 9:42 am | ३_१४ विक्षिप्त अदिती
झक्कास विडंबन!
बाकी या मेव्याने, लोळण्याच्या नादात, एच्टीएमेल कोडचंही विडंबन केलेलं दिसतंय प्रतिसादात!
22 Sep 2010 - 10:48 am | नंदन
[श्रेयअव्हेर - मेवे]
मस्त विडंबन :)
22 Sep 2010 - 10:50 am | सविता
22 Sep 2010 - 11:07 am | अवलिया
हा हा हा
=))
22 Sep 2010 - 11:29 am | राजेश घासकडवी
नासकवणीशी साधलेलं नातं छानच...
22 Sep 2010 - 11:31 am | चेतन
मस्त विडंबन
__/\__
चेतन
22 Sep 2010 - 11:51 am | नावातकायआहे
अजुन एक 'अडगळ' स्पेशल
22 Sep 2010 - 1:47 pm | विदेश
एकदम झकास !
22 Sep 2010 - 7:06 pm | चतुरंग
एकदम बेगॉन विडंबन! ;)
चतुरंग
22 Sep 2010 - 11:06 pm | प्रीत-मोहर
हीट ......
23 Sep 2010 - 1:17 am | अडगळ
(पाली पारंगत )श्री . पालखाल्लास्की