काकमित्रा

सागरलहरी's picture
सागरलहरी in जे न देखे रवी...
29 Jan 2010 - 6:52 pm

अंतीच्या कळान्चे | जिवाला लागीर |
सोसेना उशीर | काही केल्या ||
भयकारी चित्र | दिसते सर्वत्र |
घरदारा पुत्र | धूसरती ||
धुमस ही कंठी | नाही येत ओठी |
राहिल्या त्या गोष्टी | सांगायच्या ||
सांगितल्याविण | समजावे मन |
उतरावे ऋण | कसे आता ||
पिन्डाला वेढीन | गुज सुचवीन |
मग घास देइन | काक मित्रा ||
- सागरलहरी

कविता

प्रतिक्रिया

प्राजु's picture

29 Jan 2010 - 9:06 pm | प्राजु

भयकारी चित्र | दिसते सर्वत्र |
घरदारा पुत्र | धूसरती ||

हम्म!!
कविता छान आहे.
- प्राजक्ता
http://www.praaju.com/

कविता हा माझा प्रांत नव्हे, पण ही कविता आवडली हं!
------------------------
सुधीर काळे
Parkinson's Laws
1. Work expands to occupy time available.
2. Bureucrats add subordinates, not rivals.
3. In meetings, time spent on a point is inversely proprtional to its importance!