अगा देवराया | अम्हा खेव द्याया |

सागरलहरी's picture
सागरलहरी in जे न देखे रवी...
19 Dec 2009 - 3:34 pm

अगा देवराया | अम्हा खेव द्याया |
धरिसी या काया | पांघरोनी ||

कितिक विभूति | सर्वत्र जगती |
धरियेल्या वृत्ती | नानाविध ||

कुणा शालजोडी | कुणासी गोधडी |
कुणी ठिगळ जोड़ी | दारिद्रयाचे ||

कुणा मुखी साय | कुणी साही हाय |
कुणा पोटी पाय | क्षुधार्तेने ||

कुणा पुष्प शय्या | कुणा काटे पाया |
कुणा चालावया | पाय नाही ||

असुनी अनाथ | कुणा प्रेम छत्र |
कुणा हाल मात्र | स्वगृहीचे ||

नाना परी अश्या | होती जीव दशा |
सोसताती कैश्या | लेकरे ही ||

असती का सारी | रुपे नाना परी |
हरी लीला करी | मूढ़ आम्ही ||

तूचि घेसी सुख | सोशिसी तू दु:ख |
राव आणि रंक | तूचि होसी ||

ऐश्या नाना कळा | दावितो सकळा |
स्वस्थ हा सावळा | वृन्दावनी ||

हरि सांगे द्वैत | त्यजुनी हे चित्त |
करुनी निभ्रांत | स्थिर व्हावे ||

माझ्या रूप गुणी | लक्ष लावी ध्यानी |
नाम चारी वाणी | सदोदित ||

धरिन मी हात | भवसागरात |
भोगाल अद्वैत | सायुज्याचे ||
-- सागर लहरी २८.११.२००९

कविता

प्रतिक्रिया

प्राजु's picture

19 Dec 2009 - 9:23 pm | प्राजु

ऐश्या नाना कळा | दावितो सकळा |
स्वस्थ हा सावळा | वृन्दावनी ||

सुंदर आहेत ओव्या.
- प्राजक्ता
http://www.praaju.com/

jaypal's picture

19 Dec 2009 - 10:43 pm | jaypal

छान ओव्या, सगळ्याच्या सगळ्या आवडल्या.

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दुरितांचे तिमीर जोवो/विश्व स्वधर्मसुर्ये पाहो/जो जें वाछील तो तें लाहो/प्राणिजात/

प्रशु's picture

22 Dec 2009 - 2:29 am | प्रशु

तुका वाण्याची आठवण करुन दिलीत हो.....