[घोडा]

अमृतांजन's picture
अमृतांजन in जे न देखे रवी...
20 Nov 2009 - 7:15 pm

भाई भी बन गया भावूक आणि उसको लग्या की कविता लिखे.
नेहमी प्रमाणे मुळ कवियित्रीची माफी मागून-

हरेक बंदेको मैने थमा दिया घोडा
तब्बीच महेसूस किया मैने चैन थोडा

फिल्लीममे देका होयंगाच तुमने ऐसा झमेला
बचपनसे मैने छोडा घर सीदा आया मुंबैला
न थी पैरोमे चप्पल, जेबभी था फटेला

गल्लीके भाईने मेरेकू बुलाया तभी
मैने भी सोचा नही एक मिनटभी
भाई बोला, "आजसे तेरा नाम हतौडी!"

भाईने बहोत मारा, वैसाच जीना भी सिकाया
बडा हुवा जैसे, सुपारी लेके लोगोंको टपकाया
पताही न चला मै सैतान कब बन गया

क्यों मुझे मेरा रास्ता यहातक लाया?
न मैने सोचा था, अपनेआप हो गया
न कोई मंजिल थी, फिर भी चलता गया!

करुणविडंबन

प्रतिक्रिया

माधुरी दिक्षित's picture

20 Nov 2009 - 7:29 pm | माधुरी दिक्षित

बोले तो भाई भी कभी अछा ईन्सान था

भाईच मनोगत आवडल

अमृतांजन's picture

20 Nov 2009 - 7:49 pm | अमृतांजन

हर एक इन्सान पैदा होते ही एक सरीकाच रैता है; ये दुनिया उस्को स्पोऐल करतीये.

आपको मेरा काव्य आवड्या और मै गहिवर्या.

अमृतांजन's picture

21 Nov 2009 - 10:34 am | अमृतांजन

मैने अपने पंटर-लोगको ये दिखाया की, खुद मादुरी दिक्षीत ने प्रतिसाद दियेला है अपुनके कविताको, तो सब्बीने पार्टी मांगी है. :-)