अपहरण |
माहितगार |
2 |
पुतळा म्हणजे.... |
प्राची अश्विनी |
50 |
निरगाठ गहनाची |
अनन्त्_यात्री |
0 |
प्रेम रंग |
तृप्ति २३ |
16 |
कशी वाटली आमची दहा बाय दहा ? |
खिलजि |
9 |
कल्लोळती रंगरेषा |
अनन्त्_यात्री |
11 |
तहान.. |
अत्रुप्त आत्मा |
7 |
नव्या वादळी नाव हाकारतो |
अनन्त्_यात्री |
8 |
साधले तर वार कर ... |
विशाल कुलकर्णी |
9 |
आठवण |
सुमित_सौन्देकर |
1 |
मी तृषार्त भटकत असता |
अनन्त्_यात्री |
17 |
(पितृभाषा) |
ज्ञानोबाचे पैजार |
19 |
लग्नानंतरची गुरुकिल्ली |
खिलजि |
0 |
मामाच्या पोरींना शिमग्याची भेट! |
गंगाधर मुटे |
4 |
सप्तश्रृंगी देवी |
पाषाणभेद |
9 |
मराठी दिन २०१८: माले का मालूम भाऊ? (झाडीबोली) |
स्वामी संकेतानंद |
20 |
मुलांची हरवत चाललेली आई |
खिलजि |
1 |
गारवा - विडंबन |
OBAMA80 |
4 |
माय गे माय... |
प्राची अश्विनी |
17 |
प्रेमळ दूध |
खिलजि |
7 |
झेब्र्याचा जन्म |
खिलजि |
0 |
॥ माझ्यासारखं प्रेम कुणी केलंच नाही ॥ |
खिलजि |
5 |
काळ्या पिशवीत पिशवीत |
मूखदूर्बळ |
5 |
माझ्या आठवणी |
प्रणया |
6 |
भावनांचा मेळ |
प्रणया |
6 |
जगणं कळेल तेव्हा ........ |
फिझा |
1 |
बस्स इतकेच.. |
मिसळलेला काव्यप्रेमी |
31 |
मुक्या पाखरा |
चांदणशेला |
2 |
मातृभाषा |
शिव कन्या |
11 |
मनी सत्व आता कमी जाहले |
खिलजि |
0 |
अभ्यास चालू आहे |
डॉ.नितीन अण्णा |
2 |
लाज |
विशाल कुलकर्णी |
11 |
काही त्रिवेणी रचना... |
राघव |
6 |
भंपकगिरी |
डॉ. एस. पी. दोरुगडे |
3 |
"मोदी" हे फक्त आडनाव आहे |
खिलजि |
4 |
पुन्हा एक स्वातंत्र्यासाठी..!! |
परशुराम सोंडगे |
2 |
॥ रमू नको या जगात ॥ |
खिलजि |
4 |
स्वराज्याचे शिलेदार |
खिलजि |
1 |
सोनरंग |
चांदणशेला |
12 |
मूठ / कर्ज |
संदीप-लेले |
0 |
सर्वसामान्य आणि राजकारणी! |
ज्योति अळवणी |
3 |
सुदाम्याचे पोहे |
प्राची अश्विनी |
7 |
<नाव सुचवा> |
निशांत_खाडे |
0 |
पुण्याची मुंबई आता झाली की राव... |
निमिष सोनार |
6 |
मी माझा |
दिपोटी |
2 |
प्रपोज डे |
अविनाशकुलकर्णी |
1 |
माणूस प्रगत झालाय? |
फुंटी |
0 |
मुक्तपीठ |
चुकार |
4 |
जसे छाटले मी मला येत गेले,धुमारे पुन्हा! |
सत्यजित... |
10 |
तुझी आठवण, साठवणींच्या कोंदणात अशीच पडून राहिली |
खिलजि |
1 |
माझे जगणे होते गाणे ( विडंबन ) |
गोगट्यांचा समीर |
1 |
सैल असावी मिठी जराशी... |
प्राची अश्विनी |
43 |
सैल नसू दे मिठी जराही! |
सत्यजित... |
13 |
हे चैतन्याच्या विराटा |
फुंटी |
5 |
(हे कोहल्यांच्या विराटा) |
दमामि |
4 |
प्रश्न साधासाच होता... |
प्राची अश्विनी |
16 |
तो,ती आणि अबोल प्रेम |
mr.pandit |
2 |
चल उठ रे बेवड्या झाली सांज झाली... बाहेर दारू गुत्त्यांना हलकेच जाग आली |
चामुंडराय |
7 |
डू-आयडीज् खूप दिसतात इथे, परतुनी येती "नाना"विध रूपे |
चामुंडराय |
1 |
या दिशेला एकदाही यायचे नव्हते मला.. वेगळे सुचलेले-- |
राघव |
9 |
चारोळी |
Swapnaa |
2 |
(खमकेच टगे बसतात इथे) |
दमामि |
20 |
नवखेच सखे फसतात इथे |
विशाल कुलकर्णी |
23 |
या देशात नेमक चाललयं काय? |
परशुराम सोंडगे |
2 |
तू |
चुकार |
6 |
(तरही) या दिशेला एकदाही यायचे नव्हते मला! |
सत्यजित... |
10 |
तुझ्या नाजूक ओठांनी... |
सत्यजित... |
11 |
(जरही) या दिशेला एकदाही यायचे नव्हते मला |
ज्ञानोबाचे पैजार |
9 |
मनाचं प्लॉटिंग |
फुंटी |
2 |
तरही गज़ल : या दिशेला एकदाही यायचे नव्हते मला |
विशाल कुलकर्णी |
18 |