प्रीती तुझ्यावरी पण... |
अत्रुप्त आत्मा |
20 |
(जगणं फक्त निमित्तमात्र) |
नाखु |
12 |
चौथयांदा झालेल पाहिलं प्रेम |
chittmanthan.OOO |
3 |
चित्त |
अन्या बुद्धे |
3 |
बातम्या बघणे हे निमित्तमात्र.. |
ज्ञानोबाचे पैजार |
12 |
दारू ही केवळ निमित्तमात्र.. |
चामुंडराय |
7 |
(ए, बैठ ना जरासा) |
ज्ञानोबाचे पैजार |
8 |
व्हेनीसचे व्यापारी |
अविनाशकुलकर्णी |
2 |
शोधा म्हणजे सापडेल ( परामानंदाचे झाड ) |
खिलजि |
0 |
सजले अंतर |
कुमार जावडेकर |
11 |
विशाल राज्य |
शब्दानुज |
2 |
चढणं म्हणजे काय असते रे भौ ( एक अशीच केलेली "श श क कविता" ) |
खिलजि |
11 |
|| माझे बाबा || |
बी.डी.वायळ |
3 |
राखून ठेव दुधाचे थेंब तू |
खिलजि |
0 |
हमसे तो छूटी महफ़िलें… |
मनिष |
13 |
असे षंढ आम्ही कैसे निपजलो |
ज्ञानोबाचे पैजार |
15 |
प्रलय |
मिसळलेला काव्यप्रेमी |
14 |
भाषा |
कुमार जावडेकर |
2 |
स्वतःसाठी जगू नका |
नायकुडे महेश |
2 |
सीता रागाने हनुमंताला "तुझ्या आईची छूत्री " म्हणाली |
खिलजि |
0 |
ऐलान |
शार्दुल_हातोळकर |
7 |
" माफ करा राजे " |
mukund sarnaik |
2 |
मैत्री |
तृप्ति २३ |
0 |
अश्वत्थामा |
ज्ञानोबाचे पैजार |
9 |
" माफ करा राजे " |
mukund sarnaik |
0 |
षंढ |
चिनार |
4 |
संदीप खरे यांची माफी मागून.... |
उपेक्षित |
0 |
ते दोघे |
शिव कन्या |
2 |
तुझी कविता |
शिव कन्या |
8 |
आजही... |
नायकुडे महेश |
0 |
खेळ राजकारणी असा रंगला.... |
स्पार्टाकस |
4 |
अर्रे कोण म्हणतं इतिहासजमा झाली झाशीची राणी |
खिलजि |
2 |
सोनियाच्या पोटी आले तुझ्या पाठी.... |
स्पार्टाकस |
10 |
सोनियाच्या सुता तुला खानदानी वरदान.... |
स्पार्टाकस |
22 |
काही अपूर्ण कविता.... |
चाणक्य |
24 |
प्रपोज डे |
अविनाशकुलकर्णी |
0 |
ऋतू ! |
फिझा |
3 |
ही हाक कुणाची आहे...! |
फिझा |
9 |
देवा, क्लोरोफिल देतो का रे , क्लोरोफिल |
खिलजि |
15 |
करायला गेलो आत्महत्या |
खिलजि |
9 |
तुझ्या 'सविते'ची ओळ उर्फ भाभीजी |
दमामि |
13 |
टोळीगीत इ.स. २०५०? |
अनन्त्_यात्री |
5 |
तुझ्या कवितेची ओळ |
अनन्त्_यात्री |
12 |
"तू " अधिक " मी " किती ? |
खिलजि |
3 |
स्वप्नांची गोष्ट (गझल) |
कहर |
0 |
अनामिक |
अत्रुप्त आत्मा |
10 |
भाऊ बहिण नाते |
mukund sarnaik |
1 |
ढग |
सागरलहरी |
4 |
देव्हारा |
कहर |
0 |
स्वात्रंतवीर |
mukund sarnaik |
4 |
बडव्यांची दुनिया |
खिलजि |
0 |
श्रावण... |
bhagwatblog |
0 |
(तनुने नानास मी टू म्हणणे ) |
ज्ञानोबाचे पैजार |
18 |
किंचित अस्वस्थ वाटते आहे ! |
संदीप-लेले |
1 |
ठसा तुज आठवांचा...! |
मनस्वी मानस |
0 |
कुंकवाच्या धन्यानं अशी रात जागवली |
अविनाशकुलकर्णी |
8 |
वेदना जहरी |
चांदणशेला |
0 |
वृक्षवल्ली आम्हा सोयरी |
नायकुडे महेश |
0 |
तू काळजाला भिडावे |
परशुराम सोंडगे |
0 |
तू काळजाला भिडावे |
परशुराम सोंडगे |
0 |
अनन्तयात्री |
अनन्त्_यात्री |
6 |
मोबाईलची शेजआरती |
पाषाणभेद |
0 |
भुकेच्या ज्वाळा |
चांदणशेला |
0 |
लोकशाहीला नाही वर्ज्य |
चांदणे संदीप |
0 |
उत्तररात्र |
हणमंतअण्णा शंकर... |
2 |
तव नयनांचे दल |
हणमंतअण्णा शंकर... |
1 |
'विडंबित' अंगाई गीत |
वेल्लाभट |
2 |
कधी असतेस, कधी नसतेस.... |
नायकुडे महेश |
1 |
झरे |
हणमंतअण्णा शंकर... |
0 |
वाट त्याची पाहाता.... |
ज्योति अळवणी |
0 |