त्या दिवशी मी, बापलेकर, पालेकर थोडं लवकरंच शाळेत पोचलो. सकाळची शाळा सुटायला अजून अवकाश होता, म्हणून गेटवरच टिवल्या बावल्या करायला सुरूवात केली.
नेहमीप्रमाणे चावताना च्युईंगम दोन बोटांनी बाहेर खेचणे, समोरच्या थियेटरवरचे 'तसल्या' सिनेमाचे पोस्टर न्याहाळणे इत्यादी टुकार उद्योग बापलेकरने सुरू केले होते.
तेवढ्यात गेटमधून ज्युनिअर काॅलेजच्या गणवेषातली एक सुंदर मुलगी येताना दिसली. गोरीपान,काळेभोर डोळे!!
"आयला! काय कडक माल आहे राव!." बापलेकर चवताळला.
"बैला, तुझ्यापेक्षा मोठी दिसतेय ती." मी.
"असूदे ना! मं काय झाला? आपल्याला थोडी लग्न करायचे." दात विचकत बापल्या हसला.
अचानक दोघांच्याही पाठीत जोरदार गुद्दे बसले.
"साल्यांनो चड्डीत रहा! माझी चुलत बहीण आहे ती!" पालेकर मागे उभा होता.
प्रतिक्रिया
11 Aug 2015 - 6:18 am | प्रचेतस
+१
खी खी खी.
एकच नंबर.
11 Aug 2015 - 7:04 am | राघवेंद्र
+१
11 Aug 2015 - 7:30 am | जडभरत
हाण तिच्या मायला! कडक्क माल!!!++१
11 Aug 2015 - 7:34 am | अभ्या..
भारी रे किसना
ती कुलकर्णी कुठाय?
+१
11 Aug 2015 - 7:45 am | तीरूपुत्र
+१
11 Aug 2015 - 8:34 am | कोमल
अय शाब्बास.. एक नंबर..
+१
11 Aug 2015 - 8:45 am | उगा काहितरीच
सेम अस्साच प्रसंग माझ्यावर आला होता! बापलेकरच्या जागी मी होतो . (त्यानंतर त्या मित्राला कुठलाच माल दाखवला नाही) रच्याकने +१
11 Aug 2015 - 8:50 am | अत्रुप्त आत्मा
+१
11 Aug 2015 - 8:52 am | ब़जरबट्टू
+१
11 Aug 2015 - 9:20 am | विशाल कुलकर्णी
+१
11 Aug 2015 - 9:44 am | पैसा
+१
हाहाहा! लै भारी!
11 Aug 2015 - 10:05 am | मुक्त विहारि
+१
11 Aug 2015 - 10:11 am | देशपांडे विनायक
+१
11 Aug 2015 - 10:49 am | पद्मावति
+१
11 Aug 2015 - 10:58 am | चिगो
+१.. 'शाळा' आठवली..
11 Aug 2015 - 12:32 pm | सौंदाळा
+१
11 Aug 2015 - 1:08 pm | नाव आडनाव
+१
11 Aug 2015 - 1:12 pm | प्रसाद गोडबोले
+१
सत्यकथा =))
11 Aug 2015 - 1:23 pm | प्यारे१
+१-१=०
11 Aug 2015 - 1:28 pm | जगप्रवासी
+१
11 Aug 2015 - 2:06 pm | अजया
+१!!
11 Aug 2015 - 2:24 pm | टवाळ कार्टा
+१
खिक्क...बर्याच दिवसांनी कोणीतरी "चड्डीत रहा" हा वाक्प्रचार मिपावर वापरला ;)
11 Aug 2015 - 3:01 pm | gogglya
+१
11 Aug 2015 - 4:06 pm | खटपट्या
+१
11 Aug 2015 - 4:20 pm | NiluMP
+१
11 Aug 2015 - 4:45 pm | सूड
+१
11 Aug 2015 - 4:47 pm | डॉ सुहास म्हात्रे
+१ :)
11 Aug 2015 - 4:51 pm | द-बाहुबली
अजुन रोचक हवा होता.
+.५
11 Aug 2015 - 5:22 pm | अन्या दातार
+१
11 Aug 2015 - 5:43 pm | मृत्युन्जय
+१
11 Aug 2015 - 6:08 pm | नूतन सावंत
+१
12 Aug 2015 - 7:22 pm | संजय पाटिल
सुरन्गीताईचे +१ मोजावेत.
+१ हा मझा!!
11 Aug 2015 - 7:16 pm | मी-सौरभ
क्या ये लिखनेवाला सच मे किस्ना है?
12 Aug 2015 - 10:33 am | नाखु
छान किसन देवा लेखन उपास सुटला एकदाचा !!!!
12 Aug 2015 - 1:20 pm | तुडतुडी
हे शाबास .+१. पण आपली बहिण सोडून बाकीच्या सगळ्या 'माल' असतात का ?
12 Aug 2015 - 1:48 pm | किसन शिंदे
तुडतुडी ताई तुमचं शल्य समजू हो, पण काय करू आमचा बापलेकर एक नंबरचा डँबिस आणि बदमाश! खूप प्रयत्नानेही त्याला "व्वा!! काय अनूपम सौंदर्य आहे या बालिकेचे" असे म्हणताच येईना. :)
तुमच्या माहीतीसाठी इथेही तुम्हाला तो डॅम्बिसपणा करताना आढळेल.
12 Aug 2015 - 6:36 pm | प्रसाद गोडबोले
डॅम्बिसपणा अर्धवट सोडला आहे ईतकेच नमुद करु इच्छितो !
अवांतर : शतशब्दकथा स्पर्धेनंतर अर्धवट सोडलेल्या लेखमालिका संपुर्ण करायची स्पर्धा ठेवुयात का ? ;)
12 Aug 2015 - 8:40 pm | कोमल
---"व्वा!! काय अनूपम सौंदर्य आहे या बालिकेचे"
:)) :)) :))
देवा तुमाला बी यायच् नाय आस बोल्ता.. त्या बापल्या कडन कवा व्हायच..
अवांतर: कुलकर्णीच काय झाल रे पुढं???
12 Aug 2015 - 6:32 pm | सूड
तुम्हाला का नसत्या चवकश्या?
12 Aug 2015 - 1:30 pm | प्रचेतस
आकांक्षाचं काय झालं रे?
12 Aug 2015 - 3:11 pm | सस्नेह
अवांतर व निरर्थक प्रश्न उपस्थित केल्याबद्दल दु दु संपादकांचा णिशेध !!!
12 Aug 2015 - 9:28 pm | अत्रुप्त आत्मा
कोण म्हणे ही आकांक्षा अता? ;-)
जिच्या पुढती ग ग न ठेंगणे म्हनतेत! ती तर नै ना?
12 Aug 2015 - 1:50 pm | मधुरा देशपांडे
+१
12 Aug 2015 - 7:28 pm | अनन्न्या
+१
12 Aug 2015 - 7:56 pm | विवेकपटाईत
+१
12 Aug 2015 - 8:34 pm | बहिरुपी
+१
12 Aug 2015 - 9:58 pm | निमिष सोनार
आवडली
14 Aug 2015 - 6:55 pm | सस्नेह
शालेय जगातपण गोची ? +))
14 Aug 2015 - 7:25 pm | चाफा
:D
15 Aug 2015 - 2:25 am | तुमचा अभिषेक
हा हा .. कित्येक सत्यकथा घडल्या असतीलच अश्या :)