सलाम-आलेकुम मियाँ . भोत दिनो के बाद दिखरैले. क्या बोल्ते आप इधरीच कु थे. मैंच नै दिक्खा? हां बराबर जी. मेरे रोजे चल रे थे ना.
भाईजान, बडी बी और चिल्ली पील्ली सब खैरीयत मै ना?
अरे हौ,आप को भी को ईद मुबारक भई.
घर को चल्ते? बडी प्यार से शीर-खुर्मा बनायें जी. चख लेते थोडा.
क्या बोल्ते गणपती की तैयारी करनेकी. हौ मियाँ गणेशजी हमारे मुहल्लेमें बैंठतेजी. बहुत मझा आता.
क्या बोले? कैसे बनाते शीर-खुर्मा ? गणेशजी को प्रशाद चढाने के वास्ते भाभी को बनानेकू बोल्ते. बतातै ना मियाँ, बिल्कुल बतातै. आप सिखाये मोदक आपकी भाभी बनाने वाली है जी. बहुत शुक्रिया.
शीर-खुर्मा भौत सिंपल है जी. और बनता भी एकदम १०-१५ मिनट मे.
पैले सामान क्या क्या लगता लिखलो मियाँ.
१/२ पाकिट सेवैंया. (भुनी हुई मिली तो और्भी अच्छा. वर्ना फिकर नक्को करु. मै बाताता ना.)
३/४ लिटर दुध.
अगर घर मै हो तो मिठा गाढा दुध. (कंडेंस्ड मिल्क).
१/२ बाटी चीनी. हा हा हा मियाँ बाल्टी नक्को लिक्खू हा वर्ना भाभी जी पिटती मेरेकु बाद मै.
२ बडे चम्मच चावल का आटा.
सुका मेवा. (इसमे कंजुशी नक्को करु मियाँ.)
(बादाम-काजु-किशमिश-पिस्ते-बिगोये खारीके टुकडे)
ईलायची.
जायफल.
नारियल के छोटे टुकडे.
अगर आपको भुनी हुई सेवैयाँ ना मिली तो. एक बर्तन में २ चम्मच अस्सल देसी घी डालकर साधी सेवैंयाँको उसमे ३-४ मिनटं भुन लो. जादा तेज आंच पर नक्को करु. वर्ना जल जायेंगी. फिर उन कु एक प्लेट मै निक्काल के रक्खो.
अब उसी बर्तन में दुध को उबालने रक्खो जी. उंस में उबाल आते ही. शक्कर, गाढा दुध पीसी हुई ईलायची- जायफल, नारियल के टुकडे और बाकी का सुका मेवा डाल दो. आंच को जादा तेज नक्को रखुं. चम्मच से बार बार हिलाते रक्खो.
५ मिनट बाद उस में भुनी हुई सेवैयाँ डाल दो. साथ में चावल का आटा थोडे दुध मे भिगोकर डाल दो. और चम्मच से बराबर हिलाते रक्खो. २-३ मिनट मै आपकी शीरखुर्मा गाढी हो जायेगी.
उपर से थोडा और सुखा मेवा डाल कर गणेशजी को चढावा दो जी.
हमकु आरती मे बुलाना भुलो नक्कु .
खुदा आफिस मियाँ. आपा को सलाम बोल्ना.
फिर मिलते इधरीच.
प्रतिक्रिया
10 Sep 2010 - 3:03 am | मराठमोळा
एकदम जबराट!!! :)
अवांतर : गणपाशेट्ची चार दिवस सुट्टी चांगलीच कामी येणार म्हणजे? ;)
10 Sep 2010 - 3:10 am | भानस
गणपाजी क्या कहने... शीरखुर्माके जी... :) शेवटचा फोटोतून पटकन वाटीत काढून घेण्याचा मोह झाला. मस्तच. और आपकी हैदराबादी हिंदी के लहेजेने जायका बढा दिया... मोदकानंतर लगेच करावे लागणार.
10 Sep 2010 - 3:21 am | प्राजु
झक्कास!!!!!
(आवांतर भोचकपणा : मराठी संकेत स्थळावर हिंदीमधला धागा??? उडवावा का?? ) ;)
10 Sep 2010 - 2:16 pm | मी-सौरभ
इतने दिनो बाद गणपा मियाँ कुछ लिखे है...
रहने दो ना आपा....
ईद मुबारक आपको भी :)
10 Sep 2010 - 3:22 am | यशवंतकुलकर्णी
य्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म
10 Sep 2010 - 3:23 am | मेघवेडा
ईद मुबारक मामु!
बाकी गणपाशेटची पाकृ बर्याच दिवसांनी बोर्डावर पाहून बरे वाटले! :)
10 Sep 2010 - 3:29 am | स्मिता_१३
क्या बात हे !
गणपा सेठ, शीरकुर्मा एकदम बढीया ! लिखने का ढंग तो और भी बढीया !
आपको ईद और गणेश चतुर्थी की हार्दीक शुभकामनायें !
स्वगत : चला गणेश चतुर्थीला मोदकांबरोबर अजुन एक गोड पदार्थ मिळाला. धन्यवाद गणपाभाउ !
10 Sep 2010 - 3:37 am | शुचि
इन्शाल्ला! क्या कातीलाना अन्दाझमे पाकृ डाली है मिपा पर! गझब ढाया है जनाब.
10 Sep 2010 - 3:49 am | नंदन
माशाल्ला गणपामियाँ!
रेसिपी आणि अंदाज-ए-बयाँ,
दोन्ही बहोत खूब :)
10 Sep 2010 - 6:13 am | बेसनलाडू
बोल्ता मामू!
(मुंबईवाला)बेसनलाडू
10 Sep 2010 - 4:39 pm | श्रावण मोडक
येहीच्च बोलता मै भी...
10 Sep 2010 - 5:27 am | सहज
मै तो मिपासे जा रा था, उने गुगलसे आना था!
किया खुर्मेका नजारा, डाएटका वाट लगा ना!
10 Sep 2010 - 9:03 am | मस्त कलंदर
मेरेकोभी येईच्च लगा मामू.... :(
लगता है अब करनाईच पडेगा...
10 Sep 2010 - 8:58 am | प्रभो
आलेकुम-अस्स्लाम गणपामियां..... इद मुबारक भाईजान...
क्या क्या बनाते तुम किचन्मे जाके ......साला फोटू देखक्येहीच्च भू़क डब्बल रे......
10 Sep 2010 - 9:14 am | प्रा.डॉ.दिलीप बिरुटे
गणपा, लै भारी रे.......!
-दिलीप बिरुटे
10 Sep 2010 - 9:19 am | विलासराव
आ रहेला है गणपा भाय.
(बंबैया) विलासभाय.
10 Sep 2010 - 9:53 am | JAGOMOHANPYARE
छान आहे. आज रात्री करु या..
( पण चंद्राचं काय करायचं? :( ईद म्हणून चंद्र बघायचा.. का गणपती म्हणून चंद्र नाही बघायचा? )
10 Sep 2010 - 9:56 am | वेताळ
तुम तो छुपे रुस्तुम निकले. कहा थे इतने दिन?
10 Sep 2010 - 10:28 am | अविनाशकुलकर्णी
इद कि शुभकामना..
गणपती मुबारक...
जबरा..आहे बेत..खिर खुरमा
10 Sep 2010 - 12:50 pm | प्रभाकर कुळ्कर्णी
हैद्राबादी भाषा एकदम सुपर जमली. "हैद्राबादी नवाब" व त्याच टाईप चे नंतर आलेले सिनिमे पाहिले काय मिपा ग्रुप मेंबर्स नी. आवर्जुन पहाने सीड्या विकत घेवून . भरपुर मनोरंन. झकास विनोद.
शिर कुर्मा जबरदस्त जमला.
10 Sep 2010 - 1:18 pm | परिकथेतील राजकुमार
हेच बोल्तो.
गणपा मामु 'द अंग्रेज' बघुन आला का काय ? ;)
पाककृती नेहमीप्रमाणेच ज ह ब र्या !! वादच नाही बॉस !
फोटु पाहुन डोळ्याचे पारणे फिटले. (हनुमंताचे फिटले ते वेगळे)
10 Sep 2010 - 1:59 pm | काजुकतली
आहा हा... मजा आ गया....
सुब्बुसे ढुंड रही हु, कोई तो आव और शीरकुर्मा खिलाव... कोई तो आव और शीरकुर्मा खिलाव...
इदर रेसिपी देखा तो जान ने जान आ गई....अब मैहीच खुद बनाके खायेगी...... आज खाई तो जादा मजा. कल फिर बनाके गणेशजीकोभी खिलाती..
आपका भौतभौत शुक्रिया... और इद मुबारक भी.... :)
मिठा गाढा दुध कितना डालनेका?? यहापे ४००ग्र. का डिब्बा मिलताय...
10 Sep 2010 - 2:20 pm | दिपक
काय ते लिखाण, काय ते फोटू.. काय ते पाक कौशल्य .. अरे एखाद्या माणसाने किती क्रियेटीव असावे..
छ्या!!..
10 Sep 2010 - 3:11 pm | मदनबाण
क्या मियाँ बडे दिनो का बाद आपके दर्शन मिले...किधर को थे भाई ?
शीर-खुर्मा बढिया दिखरेला हय... :)
(मदन मियाँ चिस्ती)... ;)
10 Sep 2010 - 4:35 pm | चतुरंग
कलिच तेरेको याद किया रे. आता नै रे तू आजकल. और आज सुब्बे देखा तो ये शीरखुर्मा!
क्या बनाया और लिखा बॉस, एकदम जोरो पे दिख रहा है रे.
तेरे को क्यां बताऊं, सब चिंधीचोरां कुछ भी फालतू लिखते है रे, तब्बीच तो ये देख के तसल्ली हुई ना मामू!
(चारमिनारापे)चतुरंगमियां
10 Sep 2010 - 5:57 pm | चिंतातुर जंतू
शैली गोड व पाककृती चांगली आहे. माझ्या माहितीच्या पारंपरिक कृतीनुसार किंचित सुधारणा सुचवत आहे, त्या गोड मानून घ्याल अशी आशा करतो.
10 Sep 2010 - 6:35 pm | विनायक प्रभू
पाकृ
10 Sep 2010 - 6:52 pm | सुनील
लाजवाब! चिंजं यांच्या सुधारणाही योग्यच. बाकी तुपाचा वापर जरा सढळ हाताने केलेल्या शीरकुर्म्याला तोड नाही!
10 Sep 2010 - 7:01 pm | धमाल मुलगा
सलामालेकुम गणपामियाँ! ईद मुबारक मियाँ :)
क्या रें? कसम चारमिनारां की, किधर से सिख के आतें तुमी इत्ते मस्त मस्त डिशां?
तुमी एक बार मिलों रें मेरेकु...ऐसा खुंदल खुंदल के मारुंगा ना...कैसे कैसे फोटु डालते रे पा.कृ.में, इदर हलीम पुरा मीठा लगने लगता ना रें!
10 Sep 2010 - 7:12 pm | स्वाती दिनेश
शिरखुर्मा टॉप!!
स्वाती
10 Sep 2010 - 7:15 pm | हेम
मस्त्त! ....आता भरल्यापोटीचे प्रश्न..
शिरखुर्म्याची कृती सगळीकडे अशीच आहे की प्रदेशानुरुप बदलते? उदा. कोकणांत सुक्या खोबर्याचे तुकडे घालतात की खोवलेलं ओलं खोबरं?
..आणि शिरखुर्मा की कुर्मा?
10 Sep 2010 - 11:29 pm | चिंतातुर जंतू
पर्शिअन शब्द 'शीर' म्हणजे दूध (संस्कृत 'क्षीर' आणि मराठी 'खीर' ही सर्व एकाच जातकुळीतली) आणि खुर्मा म्हणजे सुका खजूर (जवळजवळ खारीकच, पण त्याहून किंचित ओला). हा रात्रभर दुधात भिजवून मग त्याची खीर करायची म्हणून हा शीरखुर्मा.
10 Sep 2010 - 8:12 pm | कौशी
गनपाजी आन्खि एक सुन्दर रेसिपी.... बघुन आज घरी करावीच लागेल ............
10 Sep 2010 - 8:20 pm | यशोधरा
दुष्ट माणसा! तुझा त्रिवार निषेध! :)
10 Sep 2010 - 8:48 pm | पिंगू
गणपा मियां, ईदेच्या शुभेच्छा....
बाकी शिरखुर्मा झक्कासच...
- पिंगू
10 Sep 2010 - 9:40 pm | रेवती
आला का बुवा परत!
पाकृ टाकतो आणि इनोचा खप वाढवतो.
10 Sep 2010 - 11:22 pm | बिपिन कार्यकर्ते
मैं धागा देख्याच नय, मैं पर्तिकिरिया देगाच नय.
10 Sep 2010 - 11:28 pm | गणपा
जा असे न भेटताच जा गुपचुप ;)
10 Sep 2010 - 11:31 pm | बिपिन कार्यकर्ते
मिला न्हय बोलके ऐसा करते क्या? आप ह्यां आये आउर मिलेच्च नय काल भी नय.. हम करे क्या गुस्सा आपपर? नय करे ना? तो फिर?
10 Sep 2010 - 11:34 pm | कुंदन
>>जा असे न भेटताच जा गुपचुप
तिकडे पण हाच प्रकार...
असो.
10 Sep 2010 - 11:36 pm | बिपिन कार्यकर्ते
दोन वर्षात एक टॅक्सी करून येता नाही आलं तुला... आणि मला बोलतोस?
असो.
10 Sep 2010 - 11:30 pm | गणपा
समस्त वाचकांचा/प्रतिसादकांचा आभारी आहे.
जंतुनी सुचवलेल्या सुचना एकदम मान्य. :)
10 Sep 2010 - 11:43 pm | चावटमेला
वाह!!! गणपा मिया, जी खुश कर दिया :)
16 Sep 2010 - 11:31 am | चिगो
पाणी सुटलं तोंडाला.. मां की किरकिरी, क्या लेहजा और क्या पाकृ है मियां...